खरगे का आरोप- संसद में सीआईएसएफ लाई गई, नड्डा का पलटवार- सुरक्षाकर्मी सिर्फ मार्शल थे

संसद का मानसून सत्र इस बार लगातार हंगामों की वजह से सुर्खियों में रहा। मंगलवार को भी सदन में तीखी नोकझोंक देखने को मिली, खासकर राज्यसभा में विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने रहे। कांग्रेस नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाया कि सदन के भीतर सुरक्षा बलों को बुलाने की क्या आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि क्या यह सदन सरकार चला रही है या फिर गृहमंत्री अमित शाह।

विपक्ष की ओर से बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन (SIR) के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया गया। इस दौरान खरगे ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विरोध जताना विपक्ष का अधिकार है और उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक था।

इस पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तीखा पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष का यह तरीका नियमों के खिलाफ है और असंवैधानिक भी। उन्होंने कहा कि सदन में कोई सदस्य भाषण दे रहा हो और पास में नारेबाजी हो रही हो, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। नड्डा ने यह भी जोड़ा कि उन्होंने खुद 40 वर्षों तक विपक्ष में रहते हुए संसदीय प्रक्रिया सीखी है और विपक्ष को इससे सबक लेना चाहिए।

नड्डा ने यह भी कहा कि विपक्ष तब लोकतंत्र की बात करता है जब खुद को मंच मिलता है, लेकिन दूसरों को बोलने नहीं देता। वहीं सीआईएसएफ को सदन में बुलाए जाने पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वहां केवल मार्शल ही तैनात होते हैं, न कि अर्धसैनिक बल।

वहीं, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी सदन में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने जो आरोप लगाए हैं, वे तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। उन्होंने बताया कि उस दिन सिर्फ मार्शल ही मौजूद थे और कोई अन्य बल सदन में प्रवेश नहीं करता। रिजिजू ने इसे विपक्ष द्वारा भ्रम फैलाने वाला कदम बताया और कहा कि इस पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस मुद्दे को खरगे पहले भी उठा चुके हैं। 1 अगस्त को उपसभापति हरिवंश को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सीआईएसएफ के जवान वेल में पहुंच गए थे। कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे सदस्यों के लोकतांत्रिक अधिकारों में हस्तक्षेप बताया था।

गौरतलब है कि पिछले साल 13 दिसंबर को संसद परिसर में सुरक्षा उल्लंघन की घटना के बाद से मई 2024 में सीआईएसएफ को परिसर की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। एक अधिकारी के अनुसार, मार्शल सामान्यत: सदन के द्वार पर तैनात रहते हैं और केवल पीठासीन अधिकारी के निर्देश पर अंदर प्रवेश करते हैं। इस बार सीआईएसएफ के जवान मार्शल ड्यूटी पर तैनात किए गए थे और उन्होंने नियमानुसार ही प्रवेश किया।

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