इससे पहले ममता बनर्जी ने तृणमूल छात्र परिषद के 27वें स्थापना दिवस को आरजी कर डॉक्टर को समर्पित किया था। उन्होंने कहा था कि आरजी कर महिला डॉक्टर दुष्कर्म-हत्या मामले की जांच कई दिनों से केंद्रीय जांच एजेंसी कर रही है। कहां है न्याय? कहां तक पहुंची जांच? ममता ने कहा कि ऐसे कृत्यों की केवल एक ही सजा है- फांसी पर लटकाना।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखा है। इस दौरान ममता ने दुष्कर्म और हत्या के जघन्य अपराधों पर कड़े केंद्रीय कानून और सजा तथा एक निश्चित समय सीमा में मामलों के निपटारे की मांग की। ममता बनर्जी ने पत्र में लिखा कि आपको 22 अगस्त को भी एक पत्र लिखा था। उसमें मैंने दुष्कर्म की घटनाओं पर कड़े केंद्रीय कानून बनाने और ऐसे अपराध में शामिल अपराधियों को कड़ी सजा देने की जरूरत के बारे में बताया गया था। इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर आपकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। ममता ने इसे लेकर पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि आपके जवाब की जगह केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से एक सामान्य जवाब मिला। यह मामले की गंभीरता को देखते हुए नाकाफी है।
मता ने पत्र में बताया कि पश्चिम बंगाल में उनकी सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें 88 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) और 62 पॉक्सो अदालतों के साथ-साथ बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए 10 विशेष अदालतों की स्थापना शामिल हैं। सभी अदालतें राज्य की ओर से चलाई जा रही हैं। ममता ने पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने और इन अदालतों में स्थायी न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की अनुमति देने का आग्रह किया है। इससे पहले वाले पत्र में ममता ने दावा किया था कि पूरे देश में प्रतिदिन 90 दुष्कर्म के मामले होते हैं। पत्र के जवाब में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने लिखा था कि पिछले महीने लागू की गई भारतीय न्याय संहिता में कड़ी सजा का प्रावधान है। इससे महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में त्वरित न्याय का प्रावधान किया गया है।