देश की संसद की कार्यवाही अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की मदद से तैयार की जा रही है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सांसदों को संसद की कार्यवाही को क्षेत्रीय भाषा में मुहैया कराने के लिए तकनीकी की मदद ली जा रही है।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के दो दिवसीय सम्मेलन के बाद ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा सचिवालय को डिजिटल करने का काम तेजी से चल रहा है। सचिवालय में जिस तकनीक का प्रयोग हो रहा है, उसे राज्य विधानसभा और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ भी साझा किया जा रहा है।
बिरला ने कहा कि सम्मेलन के दौरान राज्य विधानमंडल के अधिकारियों ने कई मुद़्दों पर चर्चा की। इसमें विचार-विमर्श के लिए एलजीबीटीक्यू+ भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विधायिकाओं के समर्थन, संसदीय कार्यवाही में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का उपयोग, सांसदों के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार, मानव तस्करी, शरणार्थियों और राष्ट्रमंडल देशों में आप्रवासन सहित आठ विषयों पर बात की गई है।
उन्होंने कहा कि विधायी निकाय प्रक्रियाओं और रिकॉर्डों का डिजिटलीकरण हो रहा है। साथ ही प्रतिदिन की गतिविधियों में सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) का उपयोग करके सांसदों और विधायकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाओं को डिजिटलीकरण की गति बढ़ानी चाहिए। ताकि एक राष्ट्र-एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का दृष्टिकोण साकार किया जा सके। उन्होंने आश्वासन दिया कि पीठासीन अधिकारियों ने वित्तीय स्वायत्ता, सदन की बैठकों की घटती संख्या जैसे मुद्दे उठाए हैं। इस पर चर्चा की जाएगी और उचित समाधान निकाले जाएंगे।
संसद के अधिकारियों ने बताया कि सांसदों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में सदन की कार्यवाही उपलब्ध कराने के लिए लोकसभा सचिवालय ने एआई और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग किया है। संसदीय प्रक्रियाओं के शब्दों और उनके अर्थों की शब्दावली संकलित की जा रही है ताकि सांसदों को 10 अलग-अलग भाषाओं में कामकाज की सूची और संबंधित संसदीय कागजात उपलब्ध कराए जा सकें।
अधिकारियों ने कहा कि एआई के जरिये लोकसभा की कार्यवाही की 10 हजार घंटे से अधिक की ऑडियो रिकॉर्डिंग और 1992 की राज्यसभा की आठ हजार घंटे की बहस को तैयार किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि एक राष्ट्र- एक प्लेटफार्म के तहत विभिन्न विधान सभाओं और परिषदों की बहसें डिजिटल संसद पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएंगी।