कोलकाता। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की निर्वाचन आयोग द्वारा घोषणा से कुछ घंटे पहले ही ममता बनर्जी सरकार ने सोमवार को राज्य प्रशासन में बड़ा फेरबदल कर दिया। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, 67 आईएएस और 145 डब्ल्यूबीसीएस अधिकारियों समेत 200 से अधिक वरिष्ठ अफसरों का तबादला किया गया है। यह हाल के वर्षों में हुआ सबसे व्यापक तबादला माना जा रहा है।

इन तबादलों में 10 जिलाधिकारी (DM), कई विशेष सचिव, OSD, ADM और SDO स्तर के अधिकारी शामिल हैं। सूची में हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HIDCO) के एमडी, कोलकाता नगर निगम के आयुक्त और हल्दिया विकास प्राधिकरण के सीईओ तक के नाम हैं।

भाजपा ने उठाए सवाल, चुनाव आयोग से की शिकायत
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने आरोप लगाया है कि यह कदम आगामी SIR प्रक्रिया को प्रभावित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। भाजपा नेताओं ने निर्वाचन आयोग से इन तबादलों पर रोक लगाने की मांग की है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने इसे नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया बताया है।

भाजपा प्रवक्ता सजल घोष ने कहा कि ममता सरकार को डर है कि मतदाता सूची से फर्जी नाम हटाए जाने के बाद पार्टी को चुनाव में नुकसान हो सकता है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के आईटी प्रकोष्ठ प्रमुख देबांग्शु भट्टाचार्य ने जवाब दिया कि “इस तरह के तबादले नियमित रूप से होते हैं और भाजपा केवल राजनीतिक लाभ के लिए विवाद खड़ा कर रही है।”

कई जिलों के डीएम बदले गए
सूत्रों के अनुसार, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, कूचबिहार, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, दार्जिलिंग, मालदा, बीरभूम, झाड़ग्राम और पूर्व मेदिनीपुर के जिलाधिकारी बदले गए हैं।
उत्तर 24 परगना के डीएम शरद कुमार द्विवेदी को स्वास्थ्य विभाग का सचिव बनाया गया है, जबकि दक्षिण 24 परगना के डीएम सुमित गुप्ता को कोलकाता नगर निगम का आयुक्त नियुक्त किया गया है। धवल जैन, जो पहले आयुक्त थे, अब बीरभूम के डीएम होंगे।

इसी प्रकार, HIDCO के एमडी शशांक सेठी को उत्तर 24 परगना का डीएम, कूचबिहार के डीएम अरविंद मीणा को दक्षिण 24 परगना का डीएम और मुर्शिदाबाद के डीएम राजर्षि मित्रा को HIDCO का एमडी बनाया गया है।

राजनीतिक हलचल तेज
चुनाव से पहले इतने बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल को लेकर बंगाल की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष जहां इसे “राजनीतिक मंशा से प्रेरित” बता रहा है, वहीं राज्य सरकार इसे “नियमित प्रक्रिया” बताकर विपक्ष के आरोपों को खारिज कर रही है।