पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को लेक टाउन में भूमि दुर्गा पूजा के उद्घाटन समारोह में देश की विविधता और आपसी सम्मान की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की शक्ति उसकी एकता और सहिष्णुता में निहित है। सीएम ममता ने कुछ राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि हर भाषा, संस्कृति और समुदाय का सम्मान होना चाहिए।
सीएम ने बताया कि बंगाल में हर समुदाय मिलकर त्योहार मनाता है और दुर्गा पूजा राज्य की साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “कोई अपनी मां को ‘मां’ कहे, कोई ‘अम्मा’, लेकिन भावनाओं में कोई अंतर नहीं है।” उन्होंने चेतावनी दी कि बंगाली प्रवासी मजदूरों को परेशान करना स्वीकार्य नहीं है और अगर हम एकजुट नहीं रहेंगे, तो देश की एकता खतरे में पड़ सकती है।
ममता ने राज्य में 1.5 करोड़ प्रवासी मजदूरों और बाहर काम करने वाले 22 लाख बंगालियों का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य की संस्कृति, कला और मानवीय मूल्यों का सम्मान हर जगह होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मानवता का कोई धर्म नहीं होता और यही बंगाल की असली पहचान है।
सीएम ने मौसम पर भी चिंता जताई और बताया कि झारखंड और बिहार में भारी बारिश का असर बंगाल पर भी पड़ता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार दुर्गा पूजा मौसम की वजह से प्रभावित नहीं होगी।
ममता ने इस साल 3,000 दुर्गा पंडालों का उद्घाटन करने की जानकारी दी, जिनमें अधिकांश वर्चुअल होंगे। उन्होंने महालय से अपने लिखे गानों के रिलीज होने और कोलकाता में “दुर्गांगन” प्रोजेक्ट बनाने की भी घोषणा की। साथ ही उन्होंने हाटीबागान और ताला प्रोत्तय दुर्गा पूजा का उद्घाटन किया और पंडालों की कलात्मकता और विरासत की सराहना की।