मणिपुर: विरोध कर रहे 45 छात्र घायल, एक अक्तूबर तक इंटरनेट रहेगा बाधित

हिंसाग्रस्त मणिपुर में दो छात्रों की हत्या के विरोध में मंगलवार को एक बार फिर स्थिति तनावपूर्ण हो गई। दोनों छात्र सात जुलाई से लापता थे। उनके शव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राजधानी इंफाल में विभिन्न स्कूल-कॉलेजों के विद्यार्थियों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को सुरक्षाबलों ने रोकने का प्रयास किया। इसके बाद छात्र उग्र हो गए। सुरक्षाबलों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया जिसमें करीब 45 लोग घायल हो गए। घायलों में ज्यादातर छात्राएं हैं। इस बीच, राज्य सरकार ने लोगों से संयम बरतने की अपील की और कहा कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी दी गई है। सरकार ने आश्वस्त किया कि फिजाम हेमजीत और हिजाम लिनथोइंगंबी के अपहरण और हत्या में शामिल सभी लोगों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। विरोध प्रदर्शन के मौजूदा हालात को देखते हुए राज्य के सभी स्कूलों को 27 सितंबर से 29 सितंबर तक बंद करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, मोबाइल इंटरनेट डेटा सेवाएं, वीपीएन के माध्यम से इंटरनेट/डेटा सेवाएं मणिपुर के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में 1 अक्टूबर 2023 की शाम 7:45 बजे तक तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दी गई है।

बयान में कहा गया, ‘राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि जुलाई में लापता दो छात्रों के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस मामले को पहले ही सीबीआई को सौंप दिया गया है।’ बता दें, सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में दो छात्र एक सशस्त्र समूह के अस्थायी जंगल शिविर के घास वाले परिसर में लेटे दिखाई दे रहे हैं।

राज्य सरकार ने कहा कि मणिपुर पुलिस केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से सक्रिय रूप से मामले की जांच कर रही है ताकि छात्रों के लापता होने की परिस्थितियों का पता लगाया जा सके। साथ ही अपराधियों की पहचान की जा सके। आगे कहा गया कि सुरक्षा बलों ने अपराधियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान भी शुरू कर दिया है। 

सरकार ने जनता को आश्वासन दिया है कि छात्रों के अपहरण और हत्या में शामिल सभी लोगों के खिलाफ तुरंत और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। 

यह है मामला
गौरतलब है, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 170 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

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