राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को मणिपुर को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मणिपुर एक वर्ष से शांति की राह देख रहा है। प्राथमिकता से उस पर विचार करना होगा। पिछले साल तीन मई को मैतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में कुकी समुदाय ने आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया था। जिसके बाद भड़की जातीय हिंसा में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।
‘समस्याओं पर करना होगा विचार’
उन्होंने कहा कि चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है। संसद में किसी भी सवाल के दोनों पहलू सामने आए, इसीलिए ऐसी व्यवस्था है। चुनाव प्रचार में एक-दूसरे को लताड़ना, तकनीक का दुरुपयोग, झूठ प्रसारित करना ठीक नहीं है। विरोधी की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए। उन्होंने कहा, चुनाव के आवेश से मुक्त होकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर विचार करना होगा।

उन्होंने आगे कहा, चुनाव संपन्न हुए, उसके परिणाम भी आए। कल सरकार भी बन गई। ये सबकुछ हो गया। लेकिन उसकी चर्चा अभी तक चल रही है। जो हुआ क्यों हुआ, कैसे हुआ, क्या हुआ..यह अपने लोकतंत्र प्रत्येक पांच वर्ष में होने वाली घटना है। । हम अपना कर्तव्य करते रहते हैं। प्रति वर्ष करते हैं। प्रत्येक चुनाव में करते हैं। इस बार भी किया है।
क्या हैं मणिपुर के हालात
गौरतलब है कि जातीय संघर्ष से प्रभावित पूर्वोत्तर भारतीय प्रदेश मणिपुर में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इंफाल घाटी में मैतेई बहुतायत में हैं तो कुकी समुदाय के लोग पर्वतीय क्षेत्रों में रह रहे हैं। राज्य में अब भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है जहां अंतरजातीय विवाह करने वाले दंपती अब तक इस हिंसा की मार झेल रहे हैं। पिछले साल तीन मई के बाद से हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हो गए।