कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को मेकेदातु जलाशय परियोजना को लेकर अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। बंगलूरू और आसपास के क्षेत्रों में पानी की बढ़ती कमी को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना कर्नाटक सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। हालांकि, पड़ोसी राज्य तमिलनाडु की आपत्तियों के कारण परियोजना पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है।

सीएम सिद्धारमैया ने मैसूर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि तमिलनाडु के हितों पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इस साल कर्नाटक में भारी वर्षा हुई और राज्य ने तमिलनाडु को तय कोटा से दोगुना पानी उपलब्ध कराया। उन्होंने कहा, "तमिलनाडु को सिर्फ 177 टीएमसी पानी मिलना चाहिए था, लेकिन हमने 150 टीएमसी अतिरिक्त पानी दिया। यह दर्शाता है कि मेकेदातु परियोजना से तमिलनाडु के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा।"

मेकेदातु परियोजना की रूपरेखा

मेकेदातु परियोजना के तहत कर्नाटक के रामनगर जिले के कनकपुरा के पास 66 हजार टीएमसी क्षमता वाला जलाशय बनाया जाएगा। योजना के अनुसार 99 मीटर ऊंचा और 735 मीटर लंबा कंक्रीट बांध और एक बिजलीघर का निर्माण भी शामिल है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 14 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है। कर्नाटक सरकार का मानना है कि इससे बंगलूरू की बढ़ती जल समस्या का समाधान होगा।

तमिलनाडु सरकार इस परियोजना का विरोध कर रही है। उनका कहना है कि यह बांध कावेरी नदी के तमिलनाडु हिस्से में मुक्त प्रवाह को बाधित करेगा। कर्नाटक को परियोजना शुरू करने के लिए तमिलनाडु की मंजूरी की आवश्यकता है, जैसा कि कावेरी जल विवाद को लेकर कावेरी न्यायाधिकरण और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है।

सिद्धारमैया का यह दोहराया गया बयान कर्नाटक सरकार के इरादे को स्पष्ट करता है कि वह बंगलूरू और आसपास के क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने के लिए मेकेदातु परियोजना को प्राथमिकता दे रही है।