पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के तारकेश्वर में शनिवार को एक नाबालिग बच्ची के कथित अपहरण और यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है, जिससे इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि चार वर्षीय बच्ची अपनी दादी के पास रेलवे शेड में थी, तभी उसे अपहरण कर नाले के पास बेहोश और चोटों के निशान के साथ छोड़ दिया गया।
बच्ची को प्राथमिक उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जिसके बाद उसे चंदननगर के उप-संभागीय अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। पुलिस ने मामले में एक आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अधीक्षक कामनाशीष ने बताया कि बच्ची की हालत अब स्थिर है।
टीएमसी विधायक रमेंदु सिंघा रॉय ने कहा कि यह घटना रेलवे के क्षेत्राधिकार वाले इलाके में हुई है और वहां सुरक्षा और निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए। वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार ने मामले का संज्ञान लिया और परिवार से मिलने का आश्वासन दिया।
इस बीच, विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि तारकेश्वर पुलिस ने शुरुआती दौर में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार किया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की। पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई राज्य में कानून-व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है।
इसी सप्ताह कोलकाता में एक अलग घटना के तहत बंगाली समर्थक संगठन ने नाबालिग (14 वर्षीय) दुष्कर्म पीड़िता के लिए रैली निकाली। आरोपियों राजेश पासवान, विक्की पासवान और संजू साई के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। रैली में सैकड़ों लोगों ने आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
इस घटनाक्रम ने राज्य में नाबालिगों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि पुलिस और प्रशासन ने जांच तेज कर दी है।