मुर्शिदाबाद हिंसा मामला सुप्रीम कोर्ट में, 21 अप्रैल को होगी सुनवाई

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून 2025 को लेकर हुई हिंसा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुकी है. इस मामले में 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इस संवेदनशील मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ करेगी. मुर्शिदाबाद हिंसा में कुल तीन लोगों की मौत हुई थी, जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हुए. बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं राहत शिविर ठहरी हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट में यह चाचिका शशांक शेखर झा की ओर से दायर की गई है.

संसद के दोनों सदनों से वक्फ संशोधन बिल पास होने और फिर राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी मिलने के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में कुछ असामाजिक तत्वों ने तोड़फोड़ और आगजनी शुरू कर थी. सड़कों पर खड़ी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. यहां तक घरों में घुसकर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का दावा भी किया जा रहा है. हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई. देखते ही देखते हिंसा आसपास के जिलों को भी अपनी चपेट में ले लिया था.

केंद्रीय बलों की कई कंपनियां तैनात

हिंसा पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बलों की कई कंपनियों को तैनात किया गया. सुरक्षाबलों की तैनाती के बाद हालात काबू में आए. स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन हिंसा में अपनों को गंवाने वाले अब राहत शिविर में रहने के लिए मजबूर हैं. पीड़ित परिवारों का कहना है कि सरकार उनके इलाके में बीएसएफ का कैंप स्थापित करे ताकि वह सुरक्षित रह सके.

राज्यपाल ने हिंसा प्रभावित इलाके का किया दौरा

हिंसा के बाद से बंगाल की सियासत भी गरमाई हुई है. शुक्रवार को बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील को दरकिनार करते हुए ट्रेन से हिंसा प्रभावित इलाके के दौरे पर पहुंचे. राज्यपाल ने पहले मालदा में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की उसके बाद मुर्शिदाबाद पहुंचे. बोस ने पीड़ितों से बात की और घटना की पूरी जानकारी ली. उन्होंने लोगों को शांति बहाली का आश्वासन भी दिया. राज्यपाल ने कहा कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन लोग अभी दहशत में हैं.

विपक्ष का आरोप- सरकार ने मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया. बीजेपी ने हिंसा को सरकार की नाकामी बताया और केंद्रीय एजेंसियों से हस्तक्षेप की मांग की है. वहीं सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि स्थिति अब सामान्य हो रही है. अब सबकी नजरें 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि इस सुनवाई के जरिए न्यायालय हिंसा के जिम्मेदार पहलुओं पर अहम टिप्पणी कर सकता है.

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