केंद्र सरकार ने देश के मछुआरों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के तहत गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए नए नियम अधिसूचित किए हैं। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य देशी मछुआरों, सहकारी समितियों और छोटे स्तर के मछली पालक उत्पादक संगठनों (FFPOs) को बढ़ावा देना है और विदेशी जहाजों को भारतीय जलसीमा में मछली पकड़ने से रोकना है।
नए नियमों की प्रमुख बातें
नई व्यवस्था के तहत विदेशी मछली पकड़ने वाले जहाज अब भारतीय EEZ में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए प्राथमिकता मछुआरा सहकारी समितियों और FFPOs को दी जाएगी, जो आधुनिक तकनीक से लैस नावों का उपयोग कर सकेंगे। इसके साथ ही ‘मदर-चाइल्ड वेसल’ की अवधारणा लागू की गई है, जिससे समुद्र में ही मछलियों का आदान-प्रदान संभव होगा, खासकर अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप में, जो भारत के EEZ का 49% हिस्सा हैं।
पर्यावरण संरक्षण और नियमों का पालन
नए नियमों में पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया है। एलईडी लाइट, पेयर ट्रॉलिंग और बुल ट्रॉलिंग जैसी हानिकारक प्रथाओं पर रोक लगी है। मछलियों की न्यूनतम लंबाई तय की गई है और राज्यों के साथ मिलकर मत्स्य प्रबंधन योजनाएं तैयार की जाएंगी।
एक्सेस पास और डिजिटल निगरानी
अब गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले बड़े और मोटर चालित जहाजों को ReALCRaft पोर्टल के माध्यम से मुफ्त ‘एक्सेस पास’ लेना होगा। छोटे और पारंपरिक मछुआरों को इससे छूट दी गई है। सभी जहाजों में ट्रांसपोंडर लगाना अनिवार्य होगा, जबकि मछुआरों को QR कोड वाले आधार या फिशर ID कार्ड जारी किए जाएंगे। इससे सुरक्षा एजेंसियों को निगरानी में मदद मिलेगी।
निर्यात और सरकारी सहायता
ReALCRaft पोर्टल को एमपीईडीए और ईआईसी से जोड़ा गया है, जिससे मछलियों की पकड़ और स्वास्थ्य प्रमाणपत्र जारी करना आसान होगा। इससे भारतीय समुद्री उत्पादों के वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार मछुआरों को ट्रेनिंग, अंतरराष्ट्रीय दौरे, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और ब्रांडिंग में मदद करेगी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और मत्स्य एवं जलकृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF) के तहत कर्ज की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
भारत की समुद्री ताकत
भारत के पास 11,099 किलोमीटर लंबा समुद्री तट और 23 लाख वर्ग किलोमीटर का EEZ क्षेत्र है, जो 50 लाख से अधिक मछुआरों की आजीविका का आधार है। देश मछली उत्पादन और जलकृषि में दुनिया में दूसरे स्थान पर है और हर साल करीब 60,000 करोड़ रुपये का समुद्री उत्पाद निर्यात करता है।
उद्देश्य और प्रभाव
नए नियम भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार में और मजबूत बनाएंगे। यह तकनीक, पारदर्शिता और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने वाला मॉडल है, जो मछुआरों को लाभ देने के साथ-साथ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।