असम के लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग की मौत के मामले ने अब प्रशासनिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) भास्कर ज्योति महंत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सिफारिश पर ‘हितों के टकराव’ (Conflict of Interest) का हवाला देते हुए स्वीकार किया गया।

दरअसल, भास्कर महंत के भाई श्यामकानु महंत उस म्यूजिक इवेंट के आयोजक थे, जिसमें जुबीन गर्ग को 20 सितंबर को परफॉर्म करना था। लेकिन उससे एक दिन पहले, 19 सितंबर को जुबीन की मौत हो गई थी। मामले से संबंधित कई आरटीआई आवेदन भास्कर महंत को प्राप्त हुए, जिसके बाद उन्होंने पद से हटने का फैसला किया।

जांच में गिरफ्तारी और आरोप

जुबीन गर्ग की मौत के मामले में अब तक श्यामकानु महंत समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें जुबीन के चचेरे भाई और असम पुलिस में उपाधीक्षक संदीपन गर्ग, बैंड मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा, बैंड के दो सदस्य और जुबीन के दो निजी सुरक्षाकर्मी नंदेश्वर बोरा व परेश बैश्य शामिल हैं।

सभी पर हत्या, गैर-इरादतन हत्या, लापरवाही, आपराधिक षड्यंत्र, वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। जांच में सामने आया है कि आरोपियों के खातों में 1.1 करोड़ रुपये से अधिक के संदिग्ध लेनदेन हुए हैं, जो इस प्रकरण से जुड़े माने जा रहे हैं।

एसआईटी जांच और अगला कदम

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि 17 दिसंबर से पहले आरोपपत्र दाखिल कर दिया जाएगा और प्रारंभिक जांच में यह मामला एक ‘हत्या’ के रूप में देखा जा रहा है, न कि दुर्घटना के रूप में। विशेष महानिदेशक मुन्ना गुप्ता की अगुवाई में 10 सदस्यीय एसआईटी जांच का संचालन कर रही है।

पिछले महीने सिंगापुर अधिकारियों ने भारत को जुबीन गर्ग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपी थी। अब जांच एजेंसियां उनके जीवन के अंतिम 48 घंटों की घटनाओं को जोड़ने की कोशिश में हैं, क्योंकि उनके बैग से कुछ दवाइयाँ भी बरामद हुई थीं।

यह मामला न सिर्फ असम के संगीत जगत बल्कि प्रशासनिक तंत्र में भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है—क्या जुबीन की मौत महज एक हादसा थी या एक सुनियोजित साजिश?