राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली एस्बेस्टस-सीमेंट शीट्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है। अधिकरण ने कहा कि सामान्य उपयोग से जनता के स्वास्थ्य पर कोई गंभीर खतरा साबित नहीं हुआ है। यह फैसला डॉ. राजा सिंह बनाम भारत सरकार मामले में सुनाया गया।

निर्णय का आधार पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा गठित बहुविषयक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट है। समिति ने निष्कर्ष दिया कि स्कूलों और अन्य संस्थानों में प्रयुक्त एस्बेस्टस-सीमेंट शीट्स से कोई गंभीर स्वास्थ्य खतरा नहीं है। अस्बेस्टोसिस जैसी बीमारी केवल उन कर्मचारियों में होती है, जो लंबे समय तक उच्च सांद्रता वाले अस्बेस्टस धूल के संपर्क में रहते हैं।

विशेषज्ञों का मत: सुरक्षित उपयोग जरूरी

विशेषज्ञों ने कहा कि एस्बेस्टस फाइबर शीट्स में मजबूती से बंधे रहते हैं, जिससे यह टिकाऊ और गैर-भुरभुरे होते हैं। समिति ने पाया कि सामान्य उपयोग के दौरान हवा में फाइबर का स्तर अनुमेय सीमा से काफी कम रहता है। उन्होंने सुझाव दिया कि शीट्स की स्थापना और हटाने के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए।

एनजीटी का दिशानिर्देश

एनजीटी ने कहा कि अंधाधुंध प्रतिबंध से ग्रामीण भारत में सस्ती और टिकाऊ आवास योजनाओं पर असर पड़ेगा। इसलिए वैज्ञानिक और नियंत्रित तरीके से उपयोग करना सर्वोत्तम उपाय है। मंत्रालय को छह महीने के भीतर वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर दिशानिर्देश तैयार करने को कहा गया है। इसमें निर्माण, रखरखाव, हटाने और अपशिष्ट प्रबंधन की विस्तृत प्रक्रिया शामिल होगी।

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

निर्माण उद्योग ने एनजीटी के निर्णय का स्वागत किया। उद्योग ने कहा कि यह विज्ञान-आधारित नियमन और जिम्मेदार निर्माण की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि एस्बेस्टस-सीमेंट शीट्स दशकों से सुरक्षित और टिकाऊ साबित हुई हैं और सस्ती आवास योजनाओं में अहम भूमिका निभाती हैं। उद्योग ने सुरक्षा मानकों और अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।