राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत, गुवाहाटी (असम) ने एबीटी (अंसारुल्लाह बांग्ला टीम) मामले में दो आरोपियों को कारावास की सजा सुनाई है. बुधवार को सुनाई गई सजा में असम के बारपेटा जिले के रहने वाले दोनों आरोपियों को आरसी-02/2022/एनआईए/जीयूडब्ल्यू मामले में आईपीसी और यूए (पी) एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दंडित किया गया है.

आरोपी मामुनूर राशिद को 3 साल के कठोर कारावास (आरआई) और 1000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है. यूए (पी) एक्ट की धारा 19 के तहत एक महीने का साधारण कारावास और यूए (पी) एक्ट की धारा 20/38/39 के तहत पहले से ही काटी गई अवधि (2 साल 10 महीने 13 दिन) के लिए सजा सुनाई गई. उन्हें धारा 120(बी) आईपीसी के तहत 3 महीने के साधारण कारावास की भी सजा सुनाई गई है.

बता दें कि हाल में असम पुलिस ने एबीटी के आतंकियों के खिलाफ अभियान शुरू किया है. इस मामले में असम पुलिस ने दक्षिण भारत से 12 आतंकियों को गिरफ्तार किया था. इनमें से एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल था. बांग्लादेश में अस्थिर राजनीतिक परिस्थिति का लाभ उठाकर एबीटी लगातार पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय होने की कोशिश रहा है. सूत्रों ने कहा था कि एबीटी की ओर से स्लीपर सेल को सक्रिय किया गया था.

कोर्ट ने दोषियों को सुनाई सजा

आरोपी मुकीबुल हुसैन उर्फ ​​मकीबुल हुसैन को 6 महीने के साधारण कारावास और 500 रुपये के जुर्माने के साथ-साथ धारा 120(बी) आईपीसी के तहत 14 दिनों के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है. अपने सह-आरोपी मामुनूर की तरह, उसे भी धारा 20/38/39 यूए (पी) अधिनियम के तहत पहले से ही बिताई गई अवधि (2 वर्ष 8 महीने 13 दिन) के लिए जा सुनाई गई है.

एबीटी का अलकायदा से है संबंध

मार्च 2022 में दर्ज किया गया मामला एबीटी के एक मॉड्यूल से संबंधित है, जिसका भारतीय उपमहाद्वीप में प्रतिबंधित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अलकायदा (एक्यूआईएस) से संबंध है. बांग्लादेशी नागरिक सैफुल इस्लाम उर्फ ​​हारून राशिद के नेतृत्व में यह मॉड्यूल असम के बारपेटा जिले में सक्रिय था. एनआईए ने अगस्त 2022 में आठ आरोपियों के खिलाफ मामले में आरोपपत्र दायर किया था, इसके बाद अगस्त 2023 में दो अन्य के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया था. मामले में आगे की जांच और सुनवाई जारी है.