बंगाल में नॉन आईपीएस अफसरों को मिली है आईपीएस पद की जिम्मेदारी

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शासन में नॉन आईपीएस अधिकारियों को आईपीएस अधिकारी के पद की जिम्मेदारी दी गई है. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी अपने एक्स हैंडल में पर दावा किया कि गैर-आईपीएस अधिकारियों के पास आईपीएस कैडर के विशिष्ट पद हैं. उन्हें हटाया जाना चाहिए. तृणमूल की जवाबी शिकायत यह है कि शीर्ष पद पर बैठा एक राजनीतिक नेता सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैला रहा है. तृणमूल कांग्रेस ने मांग की कि शुभेंदु अधिकारी द्वारा पोस्ट किए गए पोस्ट को तुरंत हटाया जाए.

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ”पुलिस के पद का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. मैं चुनाव आयोग से कहूंगा कि न केवल मतदान के दिन, बल्कि अभी से, यदि आवश्यक हो तो अन्य राज्यों से पुलिस अधिकारियों को नियुक्त करके इस राज्य में कानून-लोकतंत्र का शासन वापस लाया जाए. ”

इधर, शुभेंदु अधिकारी के इस पोस्ट के बाद राज्य पुलिस पहले ही दावा कर चुकी है कि यह आरोप बेबुनियाद है. राज्य पुलिस अधिकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियमों के अनुसार निश्चित पदों पर हैं.

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शुभेंदु अधिकारी के आरोप से मचा हड़कंप

गौरतलब है कि इनमें से कुछ अधिकारी पुलिस अधीक्षक के पद पर हैं तो कुछ सीआईडी ​​में हैं. सूत्रों के मुताबिक, शुभेंदु अधिकारी की शिकायत की जांच के लिए आयोग की ओर से प्रभारी नोडल अधिकारी को जरूरी निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं. इस संबंध में आयोग ने चुनाव से पहले ही राज्य पुलिस के डीजी को बदल दिया है. WBCS ने चार जिला आयुक्तों को हटाया गया है. उनकी जगह चार आईएएस अधिकारियों को चुनाव आयोग ने जिलाधिकारी का पद सौंपा है.

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चार जिलाधिकारियों के तबादले के आदेश के बाद डब्ल्यूबीसीएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी आयोग को पत्र भेजा है. एसोसिएशन ने कहा कि उन्होंने अतीत में विभिन्न चुनावों के विभिन्न क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक काम किया है.

शुभेंदु के आरोप को टीएमसी ने किया खारिज

शुभेंदु अधिकारी ने एक्स हैंडल पर लिखा कि सभी WBCS अधिकारी बुरे नहीं होते. आयोग को इसे आईएएस बनाम डब्ल्यूबीसीएस में अतिसरलीकृत नहीं करना चाहिए. साथ ही कुछ डब्ल्यूबीसीएस की तारीफ करते हुए ‘दलदास’ ने आईएएस को हटाने की मांग की. शुभेंदु अधिकारी के अनुसार, कुछ WBCS अधिकारी आईएएस अधिकारियों से अधिक कुशल हैं.

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