ओडिशा के भद्रक जिले के बैतरणी नदी के किनारे शैव और बौद्ध देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां मिली हैं। इनका संबंध छठी या सातवीं सदी से जुड़ा माना जा रहा है। यह मूर्तियां इस सप्ताह की शुरुआत में जिले के भंडारीपोखरी ब्लॉक स्थित मनीनाथपुर गांव के पास मिलीं।
18 मूर्तियां मिलीं
एक शोधकर्ता ने बताया कि कुल 18 प्राचीन मूर्तियां मिली हैं, जिनमें शैव और बौद्ध देवता शामिल हैं। इन मूर्तियों में बारीकी से उकेरे गए 'अर्घ स्तूप' भी शामिल हैं। इसके अलावा छोटे मंदिर भी मिले।
सैर पर जा रहा था युवक तभी...
स्थानीय युवक बिबेकानंद सुबह सैर पर जा रहे थे। तभी एक मूर्ति पर नजर पड़ी और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कला और सांस्कृतिक धरोहर ट्रस्ट (आईएनटीएसीएच) के सदस्यों और युवा शोधकर्ता बिस्वांभर राउत को जानकारी दी। राउत ने क्षेत्र का निरीक्षण किया और वहां 18 प्राचीन मूर्तियों और छोटे मंदिरों की पहचान की।
यहां रखी गईं मूर्तियां
यह मूर्तियां शैव देवताओं जैसे शिव, पार्वती, गणेश और बौद्ध प्रतीकों जैसे बुद्ध, तारा और पद्मपानी को दर्शाती हैं। इन मूर्तियों को संरक्षण और प्रदर्शन के लिए बौद्ध विहार संग्रहालय में सौंप दिया गया है।
भद्रक जिले की सांस्कृतिक अधिकारी तनुजा सिरका सिंह ने कहा, 'हमने इस खोज की जानकारी मिलने के बाद आईएनटीएसीएच के सदस्यों को सूचित किया, जिनके बाद इन प्राचीन मूर्तियों को संग्रहालय में सुरक्षित किया गया।'
क्या बोले विशेषज्ञ?
प्रसिद्ध पुरातत्वविद् सुनील पट्नायक ने स्थल का निरीक्षण करने के बाद इन मूर्तियों के मिलने की पुष्टि की। उन्होंने इन्हें खोंडालाइट पत्थर से बनी शैव और बौद्ध मूर्तियां बताया, जो छठवीं से आठवीं सदी ईसवी की हैं। पट्नायक ने इन मूर्तियों की कला के उत्कृष्टता की सराहना की, जिसमें शिव, पार्वती, गणेश, बुद्ध, पद्मपानी, तारा, भैरव और नृत्य करती आकृतियां शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि यह खोज क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करेगी। साथ ही शोधकर्ताओं तथा इतिहासकारों का ध्यान आकर्षित करेगी।