देशभर में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। गुजरात के केवड़िया में इस अवसर पर गणतंत्र दिवस जैसी भव्य परेड का आयोजन किया गया। लेकिन इस बीच सरदार पटेल को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के ताजा बयान के बाद बीजेपी ने विपक्ष पर तीखे हमले किए हैं।

बीजेपी ने कांग्रेस पर लगाया इतिहास छिपाने का आरोप
भाजपा ने अपने आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) हैंडल से कई पोस्ट साझा कर दावा किया कि 1939 में मुस्लिम लीग द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल पर दो घातक हमले किए गए थे, जिन्हें कांग्रेस ने 86 वर्षों तक दबाकर रखा। पार्टी का कहना है कि इन घटनाओं को न केवल इतिहास से मिटा दिया गया, बल्कि स्वतंत्रता के बाद पाठ्यपुस्तकों से भी हटा दिया गया।

बीजेपी ने लिखा कि उन हमलों में 57 में से 34 आरोपियों को दोषी ठहराया गया था और दो को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस दौरान दो देशभक्त पटेल की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे, जबकि कई लोग घायल हुए थे। भाजपा ने सवाल उठाया कि आखिर कांग्रेस ने इतने वर्षों तक यह सच क्यों छिपाए रखा?

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भाजपा की पोस्ट को रीट्वीट करते हुए कहा कि “कांग्रेस का यह काला सच हर देशवासी को जानना चाहिए। इतिहासकार रिजवान कादरी ने वो सच्चाई सामने रखी है, जिसे कांग्रेस ने दशकों तक दबा दिया।” पुरी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सरदार पटेल को कभी वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वे अधिकारी थे — यहां तक कि उन्हें भारत रत्न देने में भी 41 साल की देरी की गई।

खरगे ने आरएसएस पर बोला हमला
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भाजपा और आरएसएस पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर दोबारा प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, क्योंकि देश में कानून-व्यवस्था से जुड़ी कई घटनाओं के पीछे यह संगठन जिम्मेदार रहा है।

खरगे ने आगे कहा कि NCERT की किताबों से गांधी, गोडसे, RSS और 2002 गुजरात दंगों से जुड़े हिस्से हटाना भाजपा की “मानसिकता” को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “वे हमेशा इतिहास को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी झूठ को सच में बदलने में माहिर हैं।”

राजनीतिक माहौल गरमाया
सरदार पटेल की जयंती पर एक ओर जहां देशभर में एकता और राष्ट्रनिर्माण का संदेश दिया गया, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के बीच एक बार फिर इतिहास और विचारधारा को लेकर तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।