नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति में एक निर्णायक मोड़ है। उन्होंने यह बात नई दिल्ली में आयोजित चाणक्य डिफेंस डायलॉग के तीसरे संस्करण के उद्घाटन सत्र में कही। राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि इस अभियान ने भारत की सैन्य क्षमता को दुनिया के सामने उजागर किया और यह भी दिखाया कि देश शांति और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने में सक्षम है।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर मई में पहलगाम हमले के बाद शुरू किया गया था। इस कार्रवाई में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। जवाबी हमलों के बावजूद भारत की कार्रवाई लगातार ऑपरेशन सिंदूर के तहत जारी रही। दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव 10 मई को हुए समझौते के बाद शांत हुआ।
भारतीय सेना की भूमिका
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पारंपरिक युद्ध, काउंटर-इंसर्जेंसी और आपदा प्रबंधन में अपनी क्षमता बार-बार साबित की है। उन्होंने यह भी कहा कि सेना न केवल सीमाओं की सुरक्षा करती है बल्कि वैश्विक स्तर पर यह संदेश देती है कि भारत शांति चाहता है, पर अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। मंच पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी उपस्थित थे और उन्होंने सेना की तत्परता पर प्रकाश डाला।
वैश्विक परिदृश्य और नई चुनौतियाँ
राष्ट्रपति ने कहा कि आज का अंतरराष्ट्रीय माहौल तेजी से बदल रहा है। तकनीकी बदलाव, प्रतिस्पर्धी शक्तियां और नई रणनीतिक चुनौतियां अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने साइबर, स्पेस और सूचना युद्ध जैसे क्षेत्रों में उभरते खतरे का जिक्र किया और बताया कि भारत इन चुनौतियों का सामना अपने सभ्यतागत मूल्यों और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत के तहत कर रहा है।
सेना में सुधार और भविष्य की तैयारियाँ
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सेना अपने ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ के तहत संरचनात्मक सुधार कर रही है, जिसमें युद्धक क्षमता बढ़ाने, आधुनिक सिद्धांत विकसित करने और नई चुनौतियों के लिए तैयारी करने पर जोर है। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगी।
युवाओं और महिलाओं की भागीदारी
राष्ट्रपति ने युवाओं में राष्ट्रभक्ति बढ़ाने, एनसीसी विस्तार और खेलों के माध्यम से नेतृत्व तैयार करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि महिला अधिकारियों और सैनिकों की बढ़ती भागीदारी से सेना में समावेशिता भी बढ़ रही है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि दुनिया अनिश्चित और बदलते वैश्विक आदेश की ओर बढ़ रही है, और ऐसे माहौल में भारतीय सेना को निर्णायक और भविष्य-तैयार बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने सेना के 2032, 2037 और 2047 तक के तीन चरणों वाले परिवर्तन विजन की रूपरेखा साझा की। इसके तहत ‘आत्मनिर्भरता’, नवाचार, अनुकूलन क्षमता और सैन्य-नागरिक सहयोग को मुख्य आधार बनाया गया है।
जनरल द्विवेदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी को सेना के लिए प्रेरणादायक बताया और कहा कि इस तरह के संवाद राष्ट्रीय नीति निर्माण और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को मजबूत करेंगे।