प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गुजरात पहुंचे और जनजातीय कल्याण तथा विकास से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत तैयार एक लाख घरों के गृह प्रवेश कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसके बाद वे भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती समारोह में आयोजित जनसभा को संबोधित किए।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में आदिवासियों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद किया और कहा कि कांग्रेस के 60 वर्षों के शासन में आदिवासियों की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि डेडियापाड़ा और सागबारा का क्षेत्र संत कबीर की शिक्षाओं से प्रेरित है और इस भूमि की संस्कृति उनके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
उन्होंने बताया कि एक लाख परिवारों को पक्के घर प्रदान किए गए हैं और कई कल्याण योजनाओं के तहत जनजातीय परिवारों को लाभ पहुंचाया गया है। पीएम मोदी ने कहा कि बीते दस वर्षों में देश के कई धार्मिक और ऐतिहासिक धामों का विकास हुआ है, जैसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उज्जैन महाकाल, अयोध्या का राम मंदिर और केदारनाथ धाम। उन्होंने देवमोगरा माता मंदिर के विकास को अपने पुनर्निर्माण कार्यों की शुरुआत के रूप में याद किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी कल्याण भाजपा की प्राथमिकता है और देश के आजादी के बाद आदिवासी समाज के हालात में सुधार की आवश्यकता थी। उन्होंने बताया कि पहली बार जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, तब आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया, जिसे कांग्रेस ने अपने शासन में नजरअंदाज कर दिया।
उन्होंने एनडीए सरकार द्वारा आदिवासियों को प्रमुख पदों पर नियुक्त किए जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ और ओड़िशा में आदिवासी मुख्यमंत्री राज्य का विकास कर रहे हैं। इसके अलावा मंगुभाई पटेल एमपी के राज्यपाल हैं और सोनोवाल जहाजरानी मंत्रालय संभाल रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि आदिवासी समाज का सशक्तिकरण भाजपा की प्राथमिकता है और इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।