विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के नेताओं के लगातार भारत-विरोधी बयानों पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए लंबे समय से भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करता रहा है। वहीं, इस्राइल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत ने अपने पुराने रुख को दोहराते हुए युद्धविराम और दो-राष्ट्र समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया।
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान के नेतृत्व की उकसाने वाली और नफरत फैलाने वाली टिप्पणियां नई नहीं हैं, बल्कि यह उनकी पुरानी आदत है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी तरह का दुस्साहस पाकिस्तान को भारी पड़ेगा, जैसा हाल में देखने को मिला।
इस्राइल-फलस्तीन पर भारत की स्थिति
जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत संघर्ष विराम, सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई और गाजा में निर्बाध मानवीय सहायता का समर्थन करता है। भारत दो-राष्ट्र समाधान का पक्षधर है, जिससे दोनों देशों के लोग शांति और सुरक्षा में रह सकें।
पीएम मोदी और रूस दौरे को लेकर बयान
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में जाएंगे या नहीं, इस पर निर्णय अभी बाकी है। वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने रूस के मॉस्को में होने वाली भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में शामिल होंगे, जिसमें व्यापार, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग पर चर्चा होगी।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग
जायसवाल ने कहा कि भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी दोनों देशों के रिश्तों का महत्वपूर्ण स्तंभ है। अगस्त के मध्य में अमेरिका का रक्षा नीति दल दिल्ली आएगा और अलास्का में ‘युद्ध अभ्यास’ नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास होगा। इसके अलावा, महीने के अंत में 2+2 अंतर-सत्रीय बैठक प्रस्तावित है, जिससे रक्षा व रणनीतिक संबंध और प्रगाढ़ होंगे। डॉलर को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि डॉलर-विमुद्रीकरण भारत के वित्तीय एजेंडे का हिस्सा नहीं है।
भारत-चीन सीमा और व्यापार
मंत्रालय ने बताया कि भारत-चीन सीमा पर स्थित तीन निर्दिष्ट व्यापार बिंदुओं—उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा, हिमाचल प्रदेश के शिपकी ला दर्रा और सिक्किम के नाथू ला दर्रा—से व्यापार बहाली को लेकर चीन के साथ संवाद जारी है। जैसे ही कोई प्रगति होगी, जानकारी साझा की जाएगी।