मतदाता सूची से बाहर लोग आधार कार्ड समेत 11 दस्तावेजों से कर सकते हैं आवेदन

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विशेष मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि जिन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, वे अब ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि आवेदन में फार्म 6 के साथ आवेदक आधार कार्ड समेत 11 अन्य दस्तावेजों में से किसी भी दस्तावेज का उपयोग कर सकते हैं।

राजनीतिक पार्टियों की निष्क्रियता पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह जानकर हैरानी जताई कि राजनीतिक पार्टियां अब तक 65 लाख मतदाताओं के नामों पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए आगे नहीं आई हैं। आयोग ने बताया कि इस दौरान केवल 85 हजार नए मतदाता वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं और राजनीतिक पार्टियों के बूथ लेवल एजेंट्स के जरिए अब तक सिर्फ दो आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति स्वयं या राजनीतिक पार्टियों के बूथ लेवल एजेंट्स की मदद से ऑनलाइन आवेदन कर सकता है, भौतिक फार्म जमा करना जरूरी नहीं है। अदालत ने बिहार की सभी 12 राजनीतिक पार्टियों को अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश देने को कहा कि वे मतदाताओं को इस प्रक्रिया के बारे में जागरूक करें और उन्हें आवेदन में मदद करें।

पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी और सभी राजनीतिक पार्टियों को तब स्टेटस रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिसमें यह बताया जाए कि उन्होंने कितने लोगों की ऑनलाइन फॉर्म भरने में मदद की। चुनाव आयोग को भी निर्देश दिया गया कि बूथ लेवल एजेंट्स द्वारा किए गए आवेदन पर पर्ची दी जाए।

चुनाव आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत से 15 दिन का समय मांगा ताकि यह साबित किया जा सके कि कोई भी मतदाता सूची से बाहर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल शोर मचा रहे हैं, लेकिन वास्तविक स्थिति इससे अलग है।

एसआईआर में 65 लाख मतदाता बाहर
14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण 19 अगस्त तक प्रकाशित किया जाए। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता दी गई। इस संशोधन के बाद बिहार में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ रह गई। इस प्रक्रिया के कारण राज्य में बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है।

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