नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में आयोजित 18वें अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी ओलंपियाड के प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में समृद्ध परंपरा और योगदान पर जोर दिया। वीडियो संदेश में उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे जिज्ञासा, रचनात्मकता और सहयोग की भावना के साथ ब्रह्मांड की खोज में आगे बढ़ें।

प्रधानमंत्री ने लद्दाख स्थित 4,500 मीटर ऊंची वेधशाला को भारत की विशेष वैज्ञानिक उपलब्धि बताया और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाले पहले देश के रूप में भारत की उपलब्धि का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश में 1 करोड़ से अधिक छात्र अटल टिंकरिंग लैब्स के माध्यम से STEM शिक्षा में प्रयोगात्मक सीख हासिल कर रहे हैं, जिससे नवाचार की संस्कृति विकसित हो रही है।

उन्होंने ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ योजना का जिक्र करते हुए बताया कि इसके जरिए लाखों विद्यार्थी और शोधकर्ता प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नलों तक निःशुल्क पहुंच पा रहे हैं। अनुसंधान क्षेत्र में अरबों डॉलर का निवेश हो रहा है और भारत दुनिया भर के युवाओं को पढ़ाई, शोध व साझेदारी के लिए आमंत्रित कर रहा है।

मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान से धरती पर जीवन को बेहतर बनाने की संभावनाओं पर भी ध्यान देना चाहिए, जैसे मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, जंगल की आग और ग्लेशियर निगरानी, तथा दूरदराज क्षेत्रों के लिए संचार व्यवस्था। उन्होंने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से लौटे भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उपलब्धि की भी सराहना की और उन्हें युवाओं के लिए प्रेरणा बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “बड़े सपने देखें, ऊंचे लक्ष्य तय करें और याद रखें- आसमान सीमा नहीं, बल्कि शुरुआत है।”

18वां अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी ओलंपियाड 11 से 21 अगस्त तक मुंबई में आयोजित हो रहा है, जिसका आयोजन होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च द्वारा किया जा रहा है।