प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रगति मैदान के भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह में शामिल हुए। प्रगति मैदान के भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह में पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद वस्त्र उद्योग (खादी) को मजबूत करने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया, जो पिछली सदी में इतना मजबूत था। उन्होंने कहा कि आलम यह था कि इसे मरने के लिए छोड़ दिया गया। खादी पहनने वाले लोगों को हीन भावना से देखा जाता था। उन्होंने दावा किया कि 2014 से हमारी सरकार इस स्थिति और सोच को बदलने में जुटी है। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में खादी का उत्पादन 3 गुना बढ़ गया है और खादी कपड़ों की बिक्री भी 5 गुना बढ़ गई है। विदेशों में खादी कपड़ों की मांग बढ़ रही है। 

बुनकरों को सशक्त बनाने की कोशिश

मोदी ने कहा कि देश में हथकरघा बुनकरों को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार द्वारा बड़े प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि उत्पादों के विपणन के लिए आपूर्ति श्रृंखला का मुद्दा, जो हमारे बुनकर समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ा था, सरकार द्वारा काफी हद तक संबोधित किया जा रहा है। साथ ही, सरकार देश के किसी भी हिस्से में प्रत्येक दिन कम से कम एक विपणन प्रदर्शनी आयोजित करना सुनिश्चित कर रही है। भारत मंडपम की तरह ही देश भर के कई शहरों में कई 'दर्शनी स्थल' स्थापित किए जा रहे हैं। मोदी ने दावा किया कि आज वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत हर जिले में वहां के खास उत्पादों को प्रमोट किया जा रहा है। देश के रेलवे स्टेशनों पर भी ऐसे उत्पादों की बिक्री के लिए विशेष स्टॉल बनाए जा रहे हैं।

अगस्त का महीना क्रांति का महीना 

नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगस्त का महीना क्रांति का महीना है! यह हमारे लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किए गए बलिदानों को याद करने का समय है। आज ही के दिन स्वदेशी आंदोलन शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि 'स्वदेशी' की यह भावना केवल 'विदेशी' वस्तुओं के बहिष्कार तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि इसने आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने की दिशा में एक महान प्रेरक पहलू के रूप में भी काम किया। उन्होंने कहा कि आज 'Vocal for Local' की भावना के साथ देशवासी स्वदेशी उत्पादों को हाथों-हाथ खरीद रहे हैं, ये एक जनआंदोलन बन गया है। मोदी ने कहा कि पहले मन की बात एपिसोड के बाद से खादी पर जोर दिया गया है, और आज हम सभी दुनिया भर में इसकी शानदार यात्रा के प्रमाण के रूप में खड़े हैं।

स्वदेशी जनआंदोलन बन गया

प्रधनमंत्री ने कहा कि हमारे परिधान, हमारा पहनावा हमारी पहचान से जुड़ा रहा है। देश के दूर-सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी साथियों से लेकर बर्फ से ढके पहाड़ों तक, मरुस्थल से लेकर समुद्री विस्तार और भारत के मैदानों तक, परिधानों का एक खूबसूरत इंद्रधनुष हमारे पास है। उन्होंने कहा कि ये समय आजादी के लिए दिए गए हर बलिदान को याद करने का है। आज के दिन 'स्वदेशी आंदोलन' की शुरूआत हुई थी। स्वदेशी का ये भाव सिर्फ विदेशी कपड़े के बहिष्कार तक ही सीमित नहीं था, बल्कि ये हमारी आर्थिक आजादी का बहुत बड़ा प्रेरक था। ये भारत के लोगों को अपने बुनकरों से भी जोड़ने का अभियान था।