‘एक देश-एक चुनाव’ पर सियासी संग्राम; भाजपा और जयंत बचाव में उतरे तो बीजद हुई हमलावर

मोदी सरकार की कैबिनेट द्वारा वन नेशन वन इलेक्शन के मसौदे को मंजूरी देने के बाद सियासी तूफान आ गया है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर जबरदस्त हमला बोला है। जिसके बाद अब सरकार की ओर से अलग-अलग दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवन ने कहा कि, देश को मजबूत बनाने की दिशा में अहम कदम है। वहीं मोदी सरकार में मंत्री और लोकदल के चीफ जयंत चौधरी ने कहा कि,  विपक्ष ‘आलोचना करने में जल्दबाजी कर रहा है’ और टिप्पणी करने से पहले इस मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवन ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का निर्णय राष्ट्र निर्माण और संघवाद को और मजबूत करेगा।  यह डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर और अन्य नीति निर्मातोओं द्वारा हमें दिए गए हमारे संविधान की मूल भावना और पवित्रता को भी महत्वपूर्ण रूप से पुनः प्राप्त करेगा। जब पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया, तो इसने संविधान के मूल आदर्शों को फिर से स्थापित किया था, जिन्हें कांग्रेस ने धोखा दिया था। 

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने हमेशा एक साथ चुनाव कराने की परिकल्पना की थी। लेकिन एक साथ चुनाव कराने पर कोई बहस नहीं हुई क्योंकि यही हमारा आगे बढ़ने का तरीका था। किसी ने यह नहीं सोचा था कि इंदिरा गांधी की कांग्रेस जैसी कोई पार्टी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को बेरहमी से गिरा देगी और उन्हें उखाड़ देंगी। केसवन ने आगे कहा,  1952 से 1967 तक, एक साथ चुनाव हुए लेकिन इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने निर्वाचित राज्य सरकार को लगभग 39 बार गिरा दिया। जिससे एक साथ चुनावों का चक्र टूट गया। यहीं नहीं, उन्होंने आपातकाल सिर्फ इसलिए लगाया ताकि वह अपना कार्यकाल जारी रख सकें। यही कारण है कि कांग्रेस अपने अतीत के पापों के कारण परेशान है।

सरकार के बचाव में उतरे जयंत

आरएलडी चीफ और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि, कैबिनेट ने एक फैसला लिया है। इसके बारे में काफी विचार-विमर्श किया गया था। विपक्ष को कोई बयान देने से पहले इसके बारे में सोचने की जरूरत है। सरकार लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए बेहतरीन फैसले ले रही है।

जयंत ने आगे कहा कि,  हम सरकार का हिस्सा हैं। इसलिए कैबिनेट द्वारा लिए गए हर फैसले में हम अपनी सामूहिक जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को इस बात की गहरी समझ बनाने की जरूरत है कि वास्तव में क्या प्रस्तावित किया जा रहा है। चौधरी ने कहा, “हम आलोचना करने में बहुत जल्दबाजी कर रहे हैं, विपक्षी दलों के लिए भी मैं यही कहना चाहूंगा। विपक्षी दल हर निर्णय का विरोध करने के लिए नहीं हैं। ये निर्णय केवल उन लोगों के लिए नहीं हैं जो आज सत्ता में हैं। ये निर्णय जमीनी स्तर पर हमारे लोकतंत्र के प्रभाव को गहरा और मजबूत करने के लिए हैं।

 बीजद ने  मोदी सरकार को चेताया

वहीं दूसरी ओर ओडिशा का विपक्षी दल बीजद ने गुरुवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव को जल्दबाजी में लागू करने के खिलाफ चेताया है।  बीजद सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के एक साथ चुनाव कराने की पहल पर आगे बढ़ने से पहले कई महत्वपूर्ण मुद्दों को स्पष्ट किया जाना चाहिए।  बीजू जनता दल ने शुरू में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का समर्थन किया था, लेकिन हम इसकी रूपरेखा, विचार और बारीकियों को लेकर चिंतित हैं। 

उन्होंने कहा,  मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लेकर जल्दबाजी नहीं करेगी, जैसा कि उन्होंने कृषि कानूनों के मामले में किया था। अन्यथा, इसे फिर से कड़वाहट और विरोध का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने न केवल राजनीतिक दलों, बल्कि सिविल सोसायटी और मीडिया को शामिल करते हुए खुली चर्चा का आह्वान किया। उन्होंने कहा, लेकिन अगर आप इसे लाना चाहते हैं, तो इसे विधायी जांच के माध्यम से लाएं। स्थायी समितियां हैं; सदन में इसे पारित करने से पहले उन्हें इसकी जांच करने दें।

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