कोलकाता। देश के 12 राज्यों में आज से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इसे लेकर सियासी माहौल गर्म हो गया है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जहां इस प्रक्रिया का विरोध कर रही है, वहीं भाजपा का आरोप है कि राज्य में अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल कर जनसांख्यिकी संतुलन को प्रभावित किया जा रहा है।
टीएमसी का विरोध और ममता बनर्जी का आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसआईआर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा बंगाल के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है और बंगाली प्रवासियों को बांग्लादेशी बताकर डर फैलाने की कोशिश कर रही है। ममता ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक तरीके से नहीं, बल्कि धनबल के सहारे चुनाव जीतना चाहती है।
राज्यभर में निकाली गई विरोध रैलियों के दौरान ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को चेताया कि अगर मतदाता सूची से एक भी पात्र मतदाता का नाम हटाया गया, तो टीएमसी भाजपा सरकार के पतन तक की लड़ाई लड़ेगी।
अभिषेक बनर्जी का ऐलान—अब दिल्ली की तैयारी
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने भी पार्टी के रुख को और आक्रामक बनाया। उन्होंने कहा कि एसआईआर के डर से जिन लोगों की मौत हुई, आज की रैली उन परिवारों के नाम समर्पित है। अभिषेक ने दावा किया कि रैली में शामिल भीड़ से स्पष्ट है कि बंगाल की जनता भाजपा के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “अगर दो दिनों में हम इतनी भीड़ जुटा सकते हैं, तो सोचिए दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के समय क्या होगा। अब हमारा अगला कदम दिल्ली कूच की तैयारी है।”
भाजपा का पलटवार—अवैध मतदाताओं को बचाने की कोशिश
वहीं, पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य में टीएमसी प्रशासनिक अराजकता फैला रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी रोहिंग्याओं और अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल करने का प्रयास कर रही हैं। भट्टाचार्य ने कहा, “ममता जी को अगर कोई आपत्ति है तो वे सुप्रीम कोर्ट जा सकती हैं, लेकिन एसआईआर की प्रक्रिया रुकेगी नहीं। यह न सिर्फ बंगाल बल्कि बिहार और झारखंड में भी आवश्यक है।”
भाजपा नेता ने स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल की जनता एसआईआर चाहती है, क्योंकि यह पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया की दिशा में एक जरूरी कदम है।