नई दिल्ली। राज्यसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं ने उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के पदेन सभापति सीपी राधाकृष्णन का स्वागत और अभिनंदन किया।
पीएम मोदी ने राधाकृष्णन की खूब तारीफ करते हुए कहा कि उनका जीवन समाजसेवा के लिए समर्पित रहा और राजनीति केवल उनके कार्यों का एक पहलू था। उन्होंने बताया कि राधाकृष्णन महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के राज्यपाल रहे, लेकिन पदों के बावजूद वे हमेशा प्रोटोकॉल से परे सरल और सुलभ बने रहे। पीएम ने कहा कि आम तौर पर लोग बड़े पदों पर आने के बाद प्रोटोकॉल में उलझ जाते हैं, जबकि राधाकृष्णन का जीवन इससे अलग रहा।
मोदी ने उनके जीवन संघर्ष की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि काशी यात्रा के बाद राधाकृष्णन ने मांसाहार छोड़ने का निर्णय लिया, जो उनकी आध्यात्मिक संवेदनशीलता और आंतरिक प्रेरणा को दर्शाता है। इसके अलावा, उन्होंने कोयंबटूर में हुए विनाशकारी बम विस्फोट का भी उल्लेख किया, जिसमें 60-70 लोगों की जान गई और राधाकृष्णन बाल-बाल बच गए थे। पीएम ने कहा कि उनके अनुभव और दृष्टिकोण राज्यसभा के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।
सोमवार को राधाकृष्णन ने पहली बार सभापति के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किया। इस अवसर पर विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और सुझाव दिया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक होगा। उन्होंने याद दिलाया कि राधाकृष्णन का परिवार कांग्रेस पार्टी से जुड़ा रहा है और उनके परिवार के कई सदस्य तीन बार सांसद रह चुके हैं।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राधाकृष्णन की कार्यकुशलता पर भरोसा जताया और कहा कि उनके नेतृत्व में राज्यसभा का काम-काज और प्रभावी रहेगा। राधाकृष्णन ने कांग्रेस परिवार से जुड़ाव को अलग नजरिए से देखा, बताया कि वे संघ की शाखा से जुड़े हैं और कभी किसी दबाव में नहीं आए।