कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तेलंगाना के शहीदों और उनके बलिदानों को लेकर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणियों को राज्य की पहचान और स्वाभिमान के अपमान से कम नहीं मानते हुए इसे आड़े हाथों लिया है। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किए गए एक तेलुगु संदेश में, गांधी ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का तेलंगाना के शहीदों और उनके बलिदान पर अपमानजनक भाषण तेलंगाना के अस्तित्व और स्वाभिमान का अपमान है।” सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने पुराने संसद भवन के लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान इस बात पर अफसोस जताया कि आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना बनने से दोनों राज्यों में केवल ‘‘कड़वाहट बढ़ी और खून-खराबा हुआ।’’
प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, तेलंगाना के मंत्री और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने उन्हें “अपमानजनक” बताया और प्रधानमंत्री पर ऐतिहासिक तथ्यों के प्रति पूरी तरह से “अनादर” दिखाने का आरोप लगाया। रामा राव ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर मोदी की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा कि यह कहना कि तेलंगाना ने अपने राज्य के गठन का जश्न नहीं मनाया, न केवल ‘‘तथ्यात्मक रूप से गलत है बल्कि अहंकार को भी दर्शाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं तेलंगाना राज्य के गठन के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की टिप्पणियों से बहुत निराश हूं।’’ रामा राव ने कहा कि तेलंगाना के लोगों ने राज्य का दर्जा हासिल करने के लिए छह दशकों तक अथक संघर्ष किया और अनगिनत बलिदानों के बाद आखिरकार यह सपना दो जून 2014 को साकार हुआ।
देश के निर्माण में सभी PMs का योगदान
मोदी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह समेत अनेक नेताओं के देश के निर्माण में योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले 75 वर्ष में भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जन का संसद पर विश्वास बढ़ता गया। उन्होंने संसद में पिछले 75 वर्षों में अर्जित अनेक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मनमोहन सिंह सरकार में सामने आए ‘नोट के बदले वोट’ घोटाले का भी जिक्र किया। लोकसभा में ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा – उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन में कार्यवाही का अंतिम दिन होने का भी उल्लेख किया और कहा, ‘‘हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। इस 75 वर्ष की हमारी यात्रा में अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया गया है…. और इस सदन में रहे सभी सदस्यों ने सक्रियता से इसमें योगदान दिया है।’’