रेप और हत्या के अपराध में 20 साल की जेल की सजा भुगत रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम जेल से बाहर आ गया है. इस साल तीसरी बार जेल से बाहर आया है. एक दिन पहले ही हरियाणा सरकार ने उसका 21 दिन फरलो मंजूर किया था. वैसे फरलो किस चिड़िया का काम है, जिसकी मदद से राम रहीम बार-बार जेल से बाहर आ जाता है? एक और चीज. पैरोल. इसकी मदद से भी कैदी जेल से बाहर आ जाते हैं. दोनों में अंतर क्या है. सब कुछ जानेंगे.

फरलो क्या है?

पहले फरलो समझते लेते हैं. फिर पैरोल जानेंगे. ये पहली बार नहीं है कि राम रहीम जेल से बाहर आया है. इससे पहले भी कई बार राम रहीम जेल से बाहर आ चुका है. फरलो के तहत जेल से छूट मिली है. फरलो का मतलब- कैदियों को जेल से मिलने वाली छूट. यह व्यक्तिगत, पारिवारिक या सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए दी जाती है. फरलो के लिए कैदी को कारण बताना जरूरी नहीं होता है. इसे कैदियों का अधिकार माना जाता है. जेल की रिपोर्ट की आधार पर सरकार इसे मंजूर या नामंजूर करती है. एक साल में एक कैदी तीन बार फरलो ले सकता है. जेल स्टेट सब्जेक्ट है इसलिए फरलो को लेकर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग कानून हैं.

पैरोल क्या है?

पैरोल किसी भी कैदी, सजा पा चुके शख्स या विचारधीन को मिल सकता है. इसकी कुछ जरूरी शर्तें होती हैं. किसी भी कैदी को सजा का एक हिस्सा पूरा करने के बाद और उस दौरान उसके अच्छे व्यवहार को देखते हुए पैरोल दी जा सकती है.

कैदी की मानसिक स्थिति बिगड़ने पर, कैदी के परिवार में अनहोनी होने पर, नजदीकी परिवार में किसी की शादी होने पर पैरोल दी जा सकती है. कई बार कुछ जरूरी कामों को निपटाने के लिए कैदी को पैरोल पर निश्चित अवधि के लिए जेल से छोड़ा जाता है. विशेष हालात होने पर जेल अधिकारी ही सात दिन तक की पैरोल अर्जी को मंजूर कर सकते हैं.

किन अपराधियों को पैरोल नहीं दी जा सकती?

कारागार अधिनियम 1894 के तहत पैरोल दी जाती है. हालांकि किसी कैदी को पैरोल से इनकार भी किया जा सकता है. पैरोल को मंजूरी देने वाला अधिकारी ये कहते हुए मना कर सकता है कि कैदी को रिहा करना समाज के हित में नहीं होगा.

आमतौर पर पैरोल मौत की साज पाए दोषी, आतंकवाद के दोषी या फिर जेल से रिहा होने पर भागने की संभावना वाले कैदी को नहीं दी जाती है. अनलॉफुल एक्टिविटि प्रिवेंशन एक्ट के तहत सजा काट रहे अपारधियों को भी पैरोल नहीं दी जाती है.

वैसे एक सवाल ये भी उठता है कि कैदी को क्यों ही जेल से रिहा किया जाए. इसका मकसद क्या है. तो सुनिए. पैरोल या फरलो पर कैदी को रिहा करने से कैदी को अपने परिवार और समाज से जुड़े कुछ जरूरी काम निपटाने का मौका मिलता है. इसे अपराधियों में सुधार लाने की प्रक्रिया के लिए भी काफी अहम माना जाता है.