बेंगलुरु- कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रियंक खर्गे द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर की गई टिप्पणियों पर संघ के नेशनल एक्जीक्यूटिव सदस्य इंद्रेश कुमार ने कड़ा जवाब दिया है। इंद्रेश ने कहा कि कांग्रेस के लिए आरएसएस की निन्दा करना मानो आदत बन गई है और उन्हें संगठन को समझने की बजाय उस पर हमला बंद कर देना चाहिए।
इंद्रेश कुमार ने प्रेस नोट में कहा कि आज़ादी के बाद देश को जोड़ने और विकास कराने के बजाय कांग्रेस ने विभाजन की राजनीति को जिंदा रखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस के खिलाफ ज़हर उगलना कांग्रेस की पुरानी प्रवृत्ति बन चुकी है और पार्टी को इस रवैये से पीछे हटना चाहिए।
क्या कहा था प्रियंक खर्गे ने?
प्रियंक खर्गे ने हालिया बयान में कर्नाटक के मुख्यमंत्री से सरकारी संपत्तियों—जैसे स्कूल, कॉलेज और पुरातात्विक/सरकारी मंदिर—में आरएसएस की गतिविधियों की अनुमति न देने का आग्रह किया था। उनके अनुसार आरएसएस की बैठकों से युवाओं के विचार प्रभावित होते हैं और इसलिए सरकारी स्थानों पर उनकी गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए; यदि वे चाहें तो निजी जगहों पर बैठकें कर लें। खर्गे ने यह भी कहा कि उनके इस रुख के बाद उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ा। साथ ही उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को किसी भी संगठन की सक्रियता में शामिल होने से रोकने का सुझाव भी दिया।
भाजपा का पलटवार
कांग्रेस के तेवर पर भाजपा ने भी तीखा विरोध जताया। कर्नाटक भाजपा प्रमुख विजयेंद्र येदियुरप्पा ने खर्गे की बातों को “कांग्रेस की विकृत और हिंदू-विरोधी मानसिकता” करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले भी तानाशाही और विभाजन की राजनीति के लिए जानी जाती रही है और ऐसे रवैये का स्थान लोकतंत्र में नहीं है।
राजनीतिक पानापत में यह विवाद उस संवेदनशील मुद्दे पर केंद्रित है कि सार्वजनिक/सरकारी स्थानों पर किसी संगठन की गतिविधियों को किस हद तक अनुमति दी जानी चाहिए। मामले पर आगे जांच और राजनीतिक प्रतिक्रिया जारी रहने की संभावना है।