नई दिल्ली। भारत अपनी हवाई सुरक्षा क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। पाकिस्तान और चीन से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बीच सरकार रूस से अतिरिक्त एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम लेने की योजना पर विचार कर रही है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन सिस्टमों की क्षमता ने भारतीय वायुसेना का भरोसा और पुख्ता किया है।

सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर बातचीत की संभावना दिसंबर की शुरुआत में है, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आएंगे। वर्ष 2018 में भारत ने रूस के साथ करीब पांच अरब डॉलर की डील कर पांच यूनिट एस-400 खरीदने का समझौता किया था। इनमें से तीन स्क्वाड्रन वायुसेना को सौंपे जा चुके हैं, जबकि शेष डिलीवरी की प्रक्रिया जारी है।

अमेरिका की चेतावनी और भारत का रुख
इस समझौते पर अमेरिका ने उस समय आपत्ति जताते हुए कहा था कि सीएएटीएसए कानून के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में वह किसी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। यही दृढ़ता पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि एस-400 सिस्टम उनके लड़ाकू विमानों और मिसाइलों के लिए गंभीर चुनौती माने जाते हैं।

एयर चीफ का संकेत
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने अतिरिक्त बैच की खरीद पर सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह अवश्य संकेत दिया कि आगे और यूनिटों की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने कहा, “यह हथियार प्रणाली खुद को कारगर साबित कर चुकी है। हमारी स्वदेशी क्षमताएं भी बढ़ रही हैं। समय आने पर सही निर्णय लिया जाएगा।”

ऑपरेशन सिंदूर से साबित हुई ताकत
हालिया ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 ने भारतीय वायु रक्षा को नई ऊंचाई दी। यह सिस्टम लंबी दूरी से ही दुश्मन के लड़ाकू विमान, ड्रोन और मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम है। पाकिस्तान के पास इस तरह की तकनीक नहीं है, जिससे उसकी कमजोरी साफ उजागर होती है।

भविष्य में एस-500 पर नजर
रक्षा सूत्रों ने यह भी बताया कि आने वाले वर्षों में भारत रूस की अगली पीढ़ी की प्रणाली एस-500 पर भी विचार कर सकता है। यह तकनीक और भी उन्नत है और लंबी दूरी तक किसी भी हवाई खतरे को ध्वस्त करने में सक्षम होगी। चीन की आक्रामक नीतियों और पाकिस्तान के अस्थिर रुख को देखते हुए विशेषज्ञ इस फैसले को भारत की सुरक्षा नीति में निर्णायक मान रहे हैं।