संदेशखाली: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम आज लेगी स्थिति का जायजा

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की घटना सामने आने के बाद से ही तमाम विपक्षी दल ममता सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। जहां एक तरफ सत्ता पक्ष भाजपा पर प्रदेश में माहौल खराब करने का आरोप लगा रहा है। वहीं तमाम विपक्षी दल राज्य में कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने की बात कह रहे है। पश्चिम बंगाल की पूरी सियासत संदेशखाली के ईर्दगिर्द भटक रही है। संदेशखाली सियासी जंग का मैदान बना हुआ है। अब मामले की तह तक जाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की एक टीम भी संदेशखाली के लिए रवाना हुई है। 

तीन दिन का समय
संदेशखाली जाने से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष अनंत नायक ने कहा, ‘आयोग को संदेशखाली गांव से शिकायत मिली है। हम उसी संदर्भ में वहां जा रहे हैं। यह आयोग का नियम है कि हम पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगते हैं। हमने उन्हें तीन दिन का समय दिया है। हम शिकायत के आधार पर जमीनी हकीकत देखने जा रहे हैं। हम शिकायतकर्ता से मिलने जा रहे हैं।’

एक तरफ जहां राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की एक टीम संदेशखाली के लिए रवाना हुई, तो वहीं दूसरी तरफ बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार वापस कोलकाता लौट आए हैं। 

सभी के खिलाफ होगी कार्रवाई
संदेशखाली से लौटने पर डीजीपी ने कहा, ‘उन सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने कानून अपने हाथ में लिया। स्थानीय लोगों के आरोपों को सुना गया है और उनकी जांच की जा रही है। सभी को पुलिस और प्रशासन का सहयोग करना चाहिए। कानून तोड़ने वाले हर शख्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’

क्या है मामला
कोलकाता से लगभग 100 किलोमीटर दूर सुंदरबन की सीमा पर स्थित संदेशखाली क्षेत्र में स्थानीय महिलाओं द्वारा फरार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद विरोध प्रदर्शन देखा जा रहा है।

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