नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर 1,856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की सिफारिश कर दी है। यह परियोजना लगभग चार दशकों से लंबित थी और अब इसे पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद पुनर्जीवित किया जा रहा है।
सावलकोट जलविद्युत परियोजना जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी जलविद्युत योजना होगी। इसे राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (एनएचपीसी) लिमिटेड द्वारा 31,380 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाया जाएगा। परियोजना में 192.5 मीटर ऊंचा रोलर-कंपैक्टेड कंक्रीट बांध और भूमिगत बिजलीघर शामिल होंगे, जो प्रतिवर्ष लगभग 7,534 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन के लिए डिजाइन किए गए हैं। इस परियोजना से चेनाब नदी के जल प्रबंधन और भंडारण की क्षमता में वृद्धि होगी।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने एनएचपीसी के अद्यतन प्रस्ताव का अध्ययन किया। समिति के अनुसार, परियोजना के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई संरक्षित क्षेत्र नहीं है और निकटतम अभयारण्य, किश्तवाड़ उच्च ऊंचाई राष्ट्रीय उद्यान, लगभग 63 किलोमीटर दूर है। परियोजना से मुख्य रूप से रामबन जिले के 13 गांव प्रभावित होंगे और लगभग 1,500 परिवार विस्थापित होंगे।
सावलकोट परियोजना को जुलाई में वन मंजूरी भी मिली थी। एनएचपीसी ने प्रभावित परिवारों के लिए आवास, आजीविका सहायता और कौशल विकास की योजना तैयार की है। निर्माण के दौरान लगभग 1,500 लोगों को रोजगार मिलेगा और 200 तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।
ईएसी ने परियोजना के पर्यावरणीय मानदंडों के अनुरूप होने और सुरक्षा उपायों के पालन के बाद इसकी मंजूरी की सिफारिश की। परियोजना की योजना 1980 के दशक में बनाई गई थी, लेकिन वन मंजूरी और पुनर्वास संबंधी मुद्दों के कारण कई बार विलंब हुआ।
सावलकोट परियोजना न केवल भारत की ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाएगी, बल्कि सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद पश्चिमी नदियों के जल संसाधनों के उपयोग में भी रणनीतिक अहमियत रखती है।