सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजनीतिक दलों और कॉरपोरेट के बीच चंदे के कथित लेन-देन की जांच कराने की मांग की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस मांग को ठुकरा दिया है और याचिकाओं को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर रोक लगा चुका है।
इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिकाएं
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस स्तर पर हस्तक्षेप करना अनुचित और बचकाना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस धारणा पर चुनावी बॉन्ड की खरीद की जांच का आदेश नहीं दे सकती कि यह अनुबंध परस्पर लाभ पर आधारित था। पीठ ने कहा कि ‘अदालत ने चुनावी बॉन्ड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इसलिए विचार किया क्योंकि इसमें न्यायिक समीक्षा का पहलू था, लेकिन आपराधिक गलत कामों से जुड़े मामले अनुच्छेद 32 के तहत नहीं आने चाहिए, जबकि कानून के तहत अन्य उपाय उपलब्ध हैं।’
गैर सरकारी संगठनों ने दायर की थी याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट गैर सरकारी संगठनों – कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। दोनों गैर सरकारी संगठनों ने जनहित याचिका में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की आड़ में राजनीतिक दलों और कॉरपोरेट के बीच परस्पर फायदे के लिए लेन-देन करने का आरोप लगाया गया था।