प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। यह सम्मेलन उस वक्त आयोजित किया जा रहा है जब भारत के इसके दो पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के साथ रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं। वहीं, रूस अपनी निजी सेना वैगनर के अल्पकालिक विद्रोह से उभरने की कोशिश कर रहा है।
आइए जानते हैं एससीओ क्या है? अभी इसको लेकर क्या हुआ है? शिखर सम्मेलन में किसने भाग लिया? किन मुद्दों पर चर्चा हुई? भारत के लिए क्यों अहम रही ये बैठक?

एससीओ क्या है?
एससीओ की स्थापना रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। भारत को 2005 में एससीओ का पर्यवेक्षक बनाया गया। तब भारत ने समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया था, जो मुख्य रूप से यूरेशियन क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित था।
2017 में अस्ताना शिखर सम्मेलन में भारत एससीओ का पूर्ण सदस्य देश बन गया। भारत के साथ पाकिस्तान भी 2017 में इसका स्थायी सदस्य बना। आज एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा ब्लॉक है और पिछले कुछ वर्षों में यह सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।

अभी इसको लेकर क्या हुआ है?
भारत ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ स्टेट्स (CHS) की 23वीं बैठक की मेजबानी की। यह शिखर सम्मेलन आभासी प्रारूप में आयोजित हुआ। भारत ने पिछले साल सितंबर में उज्बेकिस्तान के समरकंद शिखर सम्मेलन में एससीओ की अध्यक्षता ग्रहण की थी। पहले शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में होने वाला था लेकिन इसे आभासी प्रारूप में बदलने का निर्णय जून की शुरुआत में लिया गया।

शिखर सम्मेलन में किसने भाग लिया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के शी जिनपिंग, रूस के व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के शहबाज शरीफ और एससीओ देशों के अन्य नेताओं की मेजबानी की। पिछले हफ्ते वैगनर समूह के अल्पकालिक सशस्त्र विद्रोह के बाद बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन में पुतिन की यह पहली भागीदारी थी। यह शिखर सम्मेलन भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर तीन साल से अधिक समय से चले आ रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में हो हुआ है।
तुर्कमेनिस्तान को राष्ट्रपति के अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। शिखर सम्मेलन में छह अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया। ये संगठन हैं- संयुक्त राष्ट्र, आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संघ), सीआईएस (स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रमंडल), सीएसटीओ (सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन), ईएईयू (यूरेशियन आर्थिक संघ) और सीआईसीए (एशिया में बातचीत और विश्वास निर्माण उपायों पर सम्मेलन)।
दो एससीओ निकाय- सचिवालय और एससीओ आरएटीएस (क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना) के प्रमुख भी मंगलवार के आभासी शिखर सम्मेलन में शामिल हुए, जिसका विषय 'एक सुरक्षित (SECURE) एससीओ की ओर' है। SECURE शब्द प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2018 SCO शिखर सम्मेलन में गढ़ा गया था। इसका अर्थ है सुरक्षा; अर्थव्यवस्था और व्यापार; संपर्क; एकता; संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान; और पर्यावरण।

किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
बैठक में महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर और एससीओ के सदस्य देशों के बीच सहयोग की भावी दिशा तय करने पर चर्चा की गई। साथ ही एससीओ के सदस्य देशों ने नए सदस्य के तौर पर ईरान का भी स्वागत किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे खुशी है कि ईरान एससीओ परिवार में नए सदस्य के रूप में शामिल होने जा रहा है।'
शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति, यूक्रेन संघर्ष और एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग, संपर्क और व्यापार बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले दो दशकों में, एससीओ एशियाई क्षेत्र की शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। हम इस क्षेत्र को न केवल एक विस्तारित पड़ोस के रूप में बल्कि एक विस्तारित परिवार के रूप में भी देखते हैं।'
पीएम ने कहा, 'SCO के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई उचाईयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला- 'वसुधैव कुटुंबकम' यानी पूरा विश्व एक परिवार है। ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। दूसरा 'SECURE' अर्थात सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण संरक्षण।'
वैश्विक संकट का मिलकर सामने करने पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया में जारी कई संकटों पर बात की। उन्होंने कहा कि विवादों, तनाव और महामारी से उपजा संकट विश्व में खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट सभी देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हैं? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं? क्या SCO एक ऐसा संगठन बन रहा है जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार हो?
आतंकवाद पर पाकिस्तान को खरी-खरी
इस कार्यक्रम में पीएम ने आतंकवाद के मुद्दे पर खुलकर बात की और इशारों ही इशारों में पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। SCO को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।
अफगानिस्तान मुद्दे पर जताई चिंता
सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं SCO के अधिकांश देशों के समान हैं। भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि में पड़ोसी देशों में गुटों या चरमपंथियों के गुटों को अनुमति न दी जाए।

भारत के लिए बैठक अहम क्यों?
यह भारत के लिए मध्य एशिया के साथ अधिक गहराई से जुड़ने का एक मंच रहा। रैंड कॉर्पोरेशन के इंडो-पैसिफिक विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहा, 'भारत इस प्रकार की विदेश नीति में गौरवान्वित होता है जहां वह एक ही समय में सभी के साथ समान व्यवहार करता है।'
भारत ने शिखर सम्मेलन में अपने हितों को सुरक्षित करने की कोशिश की। इसने सीमा पार आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया जो पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश था। इसने क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जिसका इशारा चीन की ओर रहा। भारत और चीन के बीच तीन साल से गतिरोध चल रहा है, जिसमें पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर हजारों सैनिक तैनात हैं।