मणिपुर घाटी में सक्रिय प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई की है। असम राइफल्स के काफिले पर हुए हालिया हमले में शामिल 15 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है। इस हमले में दो जवान शहीद हुए थे।

अधिकारियों के अनुसार, हमले के मुख्य आरोपी ठौंगराम सदानंद सिंह उर्फ पुरकपा (18 वर्ष) और खोंद्राम ओजित सिंह उर्फ केइलाल (47 वर्ष) को नंबोल क्षेत्र में हुई घटना के 72 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया। एजेंसियां यह भी पड़ताल कर रही हैं कि क्या पीएलए को किसी राजनीतिक संरक्षण का सहारा प्राप्त है। यह जांच ऐसे समय में शुरू की गई है जब मणिपुर का एक अन्य प्रमुख उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) हाल ही में युद्धविराम की घोषणा कर चुका है। इसके अलावा, 24 कुकी उग्रवादी संगठनों ने भी गृह मंत्रालय के साथ पहले से मौजूद ऑपरेशन निलंबन समझौते में शामिल होने की सहमति जताई है।

सूत्रों का कहना है कि कुछ संगठन राज्य में राष्ट्रपति शासन को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इनका उद्देश्य यह प्रचार करना है कि मौजूदा प्रशासन असफल है और विधानसभा को तत्काल बहाल किया जाना चाहिए।

असम राइफल्स के काफिले पर 19 सितंबर को नंबोल साबल लैकेई क्षेत्र में हमला हुआ था। यह इलाका सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) के दायरे से बाहर है, जहां सामान्य रूप से सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ की होती है। हमले में नायब सूबेदार श्याम गुरूंग और राइफलमैन रंजीत सिंह कश्यप ने शहादत दी थी। यह मई 2023 में मेतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसा के बाद केंद्रीय बलों पर हुआ पहला बड़ा हमला था।

जांच में सामने आया कि हमले में उपयोग किए गए छह हथियार पहले की जातीय झड़पों के दौरान पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए थे। इससे संकेत मिलता है कि लूटी गई हथियार अब उग्रवादी समूहों तक पहुंच चुके हैं। इसके अलावा, घटना में इस्तेमाल की गई एक वैन मूतुम यांगबी से बरामद की गई, जो हमले के स्थान से करीब 12 किलोमीटर दूर है।

पता चला है कि यूएनएलएफ का पूर्व सदस्य ठौंगराम सदानंद सिंह हाल में हथियार डालने के बाद पीएलए से जुड़ा था। हालांकि, पीएलए ने नंबोल हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, जबकि अतीत में वह अपने अधिकतर हमलों की जिम्मेदारी स्वीकार करता रहा है।

खुफिया एजेंसियों को शक है कि इस हमले के पीछे राजनीतिक उद्देश्य भी हो सकते हैं — जिनका मकसद राज्य की नाजुक स्थिति को और अस्थिर करना, राष्ट्रपति शासन को बदनाम करना या नई सरकार के गठन में बाधा डालना हो सकता है।

हमले के बाद राज्यपाल अजय भल्ला की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें सभी सुरक्षा एजेंसियों को हमलावरों की शीघ्र गिरफ्तारी और संवेदनशील मार्गों पर सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए।