एविएशन सुरक्षा में गंभीर चूक, संसद समिति ने चेताया- कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट 12 जून को क्रैश होने के बाद संसद की एक स्थायी समिति ने भारत के सिविल एविएशन सेक्टर में सुरक्षा खामियों को उजागर करते हुए तत्काल सुधार की आवश्यकता जताई है। समिति की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा कर रहे हैं। बुधवार को पेश की गई 380वीं रिपोर्ट में कहा गया कि विमान सुरक्षा जांच और संचालन क्षमता में गंभीर अंतराल हैं, जो बड़े हादसे का जोखिम बढ़ा सकते हैं।

रिपोर्ट में एयर इंडिया AI 171 हादसे का नाम नहीं लिया गया, लेकिन सांसदों ने इसके संबंध में AAIB अधिकारियों से जांच में देरी और तालमेल की कमी पर सवाल किए। समिति ने चेतावनी दी कि 2030 तक जब भारत में हवाई यात्रियों की संख्या 30 करोड़ पार कर जाएगी, तब बिना सुधार के थके हुए कर्मचारी, पुराना बुनियादी ढांचा और अधूरी सुरक्षा व्यवस्थाएं गंभीर हादसों का कारण बन सकती हैं।

समिति ने DGCA (Directorate General of Civil Aviation) की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि 1,063 स्वीकृत पदों में से केवल 553 भरे गए हैं, तकनीकी कर्मचारियों में प्रतिनियुक्ति अधिक है, और सुरक्षा निगरानी कमजोर है। ICAO ऑडिट में भारत ग्लोबल एवरेज से नीचे रहा। समिति ने ATCOs (एयर ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिसर्स) के थकावट और लंबे शिफ्ट को सुरक्षा जोखिम बताया और Fatigue Risk Management System लागू करने की सिफारिश की।

रिपोर्ट में हर एयरपोर्ट पर स्टाफिंग ऑडिट, ATC प्रशिक्षण क्षमता बढ़ाने, DGCA की स्वतंत्र कार्यवाही और सुरक्षा खामियों को तय समय सीमा में सुधारने जैसी सिफारिशें की गई हैं। हेलिकॉप्टर ऑपरेशन्स की निगरानी के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क और पायलटों के लिए विशेष ट्रेनिंग आवश्यक बताई गई।

समिति ने रनवे इनकर्शन, एयरप्रॉक्स और फॉग नेविगेशन जैसी सुरक्षा घटनाओं पर रूट-कॉज एनालिसिस और हाई-रिस्क एयरपोर्ट्स पर विशेष सुरक्षा कार्यक्रम चलाने की सलाह दी। विदेशों पर MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) सुविधा निर्भरता को भारत की रणनीतिक कमजोरी बताया गया और घरेलू MRO हब बनाने के लिए प्रोत्साहन देने की सिफारिश की गई।

साथ ही, AAI (Airports Authority of India) बोर्ड में ATC विशेषज्ञता का अभाव गंभीर गवर्नेंस असफलता करार दिया गया। समिति ने कहा कि अगर ये सुधार तुरंत नहीं किए गए, तो भारत में नागरिक हवाई यात्रा की सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधों का खतरा बन सकता है।

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