श्योपुर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हर महीने अपने समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से लोगों की समस्याओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनते हैं और तत्काल समाधान के निर्देश देते हैं। वहीं, श्योपुर कलेक्टर अर्पित वर्मा भी हर मंगलवार को तीन-चार घंटे तक जनसुनवाई करते हैं, लेकिन जिले की कराहल तहसील कार्यालय में शनिवार को सामने आया एक दृश्य प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा कर गया।

पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जे से परेशान विकलांग आदिवासी महिला सावित्री बाई अपने बेटे की बहू के साथ तहसील पहुंचीं और तहसीलदार रोशनी शेख से न्याय की गुहार लगाई। महिला ने आरोप लगाया कि शिकायत किए आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इंटरनेट पर वायरल हुए वीडियो में महिला तहसीलदार से रोते हुए कहती दिखाई दीं, “मैडम, हमारी जमीन बचा लीजिए, नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगी।” आरोप है कि तहसीलदार ने ठोस आश्वासन देने के बजाय गाड़ी में बैठकर कार्यालय से निकलना उचित समझा।

तहसीलदार ने अब संबंधित राजस्व निरीक्षक और पटवारी को जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि अगर तहसील स्तर पर ही ऐसी बेरुखी रहती है, तो समाधान ऑनलाइन और जनसुनवाई जैसे कार्यक्रमों का असर जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा।

श्योपुर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने इस मामले का संज्ञान लिया है और तहसीलदार से लिखित जवाब तलब किया है।