रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज देश की राजनीति और भूगोल से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि भले ही आज सिंध भारत का हिस्सा न हो, लेकिन सभ्यता की दृष्टि से यह हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा। राजनाथ सिंह ने कहा, “जहां तक जमीन का सवाल है, सीमाएं बदल सकती हैं। कौन जाने, कल सिंध फिर से भारत में आ जाए। सिंध के हमारे लोग, जो सिंधु नदी को पवित्र मानते हैं, हमेशा हमारे अपने रहेंगे।”
उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी के हवाले से बताया कि सिंधी हिंदू, खासकर उनकी पीढ़ी के लोग, आज भी सिंध के भारत से अलग होने को स्वीकार नहीं कर पाए हैं। मंत्री ने कहा कि सिर्फ हिंदू ही नहीं, बल्कि कई मुसलमान भी मानते थे कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-जमजम से कम पवित्र नहीं है।
अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता
राजनाथ सिंह ने अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़ी नीतियों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि कई पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक वर्षों से उत्पीड़ित हैं—उनके घर जलाए गए, बच्चों की हत्या हुई, बेटियों के साथ अत्याचार किया गया और धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया। कई पीड़ित भारत आने में सफल हुए, लेकिन तुष्टिकरण चाहने वाली पूर्व सरकारों ने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया।
पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों पर आरोप
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने वोट बैंक की राजनीति के लिए इन समुदायों के साथ अन्याय किया और पड़ोसी देशों से आए कुछ वर्ग को विशेष संरक्षण दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पीड़ा को समझा और इसी कारण नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया गया।