नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण कार्यवाही बार-बार बाधित हुई। सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बात करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि संसद में नारेबाजी या ड्रामा नहीं, बल्कि नीति निर्माण और डिलीवरी पर ध्यान होना चाहिए।

पीएम मोदी ने विपक्ष से अपील की कि वे अपनी हार की निराशा को पीछे छोड़कर संसद में सार्थक चर्चा करें और ऐसे कानून और नीतियां पारित कराएं जो देश के हित में हों। उन्होंने कहा, "ड्रामा करने के लिए बहुत जगह हैं, लेकिन यहां डिलीवरी होनी चाहिए। नारे नहीं, नीति पर जोर होना चाहिए।"

विपक्ष ने किया पलटवार
प्रधानमंत्री के इस बयान पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि संसद का मुख्य उद्देश्य जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना है, न कि ड्रामा करना। उन्होंने कहा, "चुनाव की स्थिति, वोटर रोल की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) और गंभीर प्रदूषण जैसे मुद्दे बेहद अहम हैं। इन्हें उठाना ड्रामा नहीं, बल्कि संसद का असली काम है।"

सपा नेता अखिलेश यादव ने भी पीएम के तंज का जवाब दिया। उन्होंने कहा, "सब जानते हैं कि ड्रामा कौन करता है। लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, BLO मर गए हैं, क्या यह ड्रामा है? बीजेपी वोटरों को रोकने के लिए पुलिस और बंदूकों का इस्तेमाल कर रही है। ऐसे शब्दों के खेल से बचना चाहिए।"

संसद सत्र की शुरुआत ही इस बहस के साथ हुई, जिसमें प्रधानमंत्री ने विपक्ष से गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने और संसद को डिलीवरी के मंच के रूप में इस्तेमाल करने का आह्वान किया, जबकि विपक्ष ने इसे हार को छिपाने और वास्तविक मुद्दों की अनदेखी बताकर पलटवार किया।