बैंकॉक में BIMSTEC समिट के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की मुलाकात हुई। लगभग नौ महीने बाद दोनों नेताओं की यह भेंट हुई है। यह बैठक समिट के आधिकारिक कार्यक्रम से अलग हुई, हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि बातचीत में किन विषयों पर चर्चा हुई।

यूनुस और मोदी के इस मुलाकात में दोनों देशों के शीर्ष राजनयिक भी मौजूद थे. ऐसे में माना जा रहा है कि ये बातचीत समसमायिक मुद्दे और दोनों देशों के व्यापार समझौते को लेकर हो सकता है.

हालांकि, मोदी से मुलाकात के लिए यूनुस लगातार कोशिश कर रहे थे. हाल ही में यूनुस के मीडिया सलाहकार ने कहा था कि कई प्रयास के बावजूद पीएम मोदी से मिलने का वक्त नहीं मिल रहा है. यूनुस चीफ एडवाइजर बनने के बाद पहला दौरा भारत का ही करने वाले थे, लेकिन भारत की सरकार ने इसे हरी झंडी नहीं दी.

आपसी संबंधों को पटरी पर लाने की चुनौती

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया. तब से अब तक दोनों देशों के बीच आपसी कड़वाहट जारी है. यूनुस के कार्यकाल में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ लगातार हमला हो रहे हैं. वहीं यूनुस की सरकार लगातार भारत विरोधी फैसले ले रही है.

हाल ही में अपने चीन दौरे के दौरान यूनुस ने चिकन नेक पर सवाल उठाया था. यूनुस का कहना था कि भारत का चिकन नेक पर चीन का कब्जा होना चाहिए, जिसका भारत ने पुरजोर विरोध किया.

भारत के विरोध को देखते हुए यूनुस भी बैकफुट पर आ गए. आखिर में बांग्लादेश की सरकार ने सफाई पेश की. सरकार का कहना था कि यूनुस के बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया.

सवाल- दोनों के बीच कड़वाहट क्यों?

बांग्लादेश को आजाद कराने में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में 45 साल बाद दोनों देशों के रिश्ते कैसे खराब हो गए. यह सवाल है. दरअसल, शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्ते ठीक नहीं है.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कहना है कि शेख हसीना भारत में है और भारत उसे वापस देने को राजी नहीं है. शेख हसीना पर बांग्लादेश में नरसंहार का आरोप है.