नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों में लागू धर्मांतरण रोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं को दिसंबर में सूचीबद्ध किया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की तीन जजों की पीठ ने सोमवार को इस संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने इन कानूनों पर तुरंत रोक लगाने और सुनवाई जल्द करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक में धर्मांतरण रोधी कानून लागू हैं। इन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
इससे पहले 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। अदालत ने राज्यों को चार सप्ताह का समय दिया था, जबकि याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह में प्रत्युत्तर दाखिल करने की अनुमति दी गई थी। अब अदालत इन सभी जवाबों पर विचार करते हुए दिसंबर में इस मामले पर सुनवाई करेगी।
कानूनों को चुनौती देने वालों का कहना है कि धर्मांतरण रोधी अधिनियम व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं, जबकि राज्य सरकारें इसे सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम बता रही हैं।