दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा से संबंधित विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत 25 पन्नों की पूरी जांच रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड की है।  दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट में सीजेआई को लिखा उनका पत्र, अग्निशमन विभाग की रिपोर्ट और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब शामिल है।  इस रिपोर्ट में होली की रात 14 मार्च को अग्निशमन अभियान के दौरान जस्टिस वर्मा के घर के स्टोररूम में कथित रूप से मिली नकदी की फोटो और वीडियो शामिल हैं। 

अपनी रिपोर्ट में जस्टिस उपाध्याय ने कहा, इस मामले में जस्टिस वर्मा की ओर से उपलब्ध कराई सामग्री और घटना की जांच के बाद मैंने पाया कि पुलिस आयुक्त ने 16 मार्च को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड ने मलबा और आंशिक रूप से जली अन्य सामग्रियों को उस कमरे से 15 मार्च की सुबह हटा दिया गया था, जिसमें आग लगी थी। जस्टिस उपाध्याय ने कहा, मेरी जांच में प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि उस बंगले में जो लोग रहते हैं उनके अलावा कोई अन्य व्यक्ति के उस कमरे में जाने की कोई संभावना नहीं है। चाहे वह नौकर हो, माली हो या केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग के कर्मचारी हों। मेरे विचार में यह पूरा मामला गंभीर जांच का विषय है।

शीर्ष कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब भी जारी किया 
जांच रिपोर्ट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब भी जारी किया। अपने जवाबों में जस्टिस वर्मा ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि यह स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होती है। उस स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा कभी कोई नकदी नहीं रखी गई थी। उन्होंने कहा कि वे इस बात की कड़ी निंदा करते हैं कि कथित नकदी उनकी थी। जिस कमरे में आग लगी और जहां कथित तौर पर नकदी मिली, वह एक आउटहाउस था न कि मुख्य भवन जहां न्यायाधीश और उनका परिवार रहता है।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति गठित की। साथ ही मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को फिलहाल जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए भी कहा गया है। सीजेआई जस्टिस खन्ना द्वारा गठित समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?
जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) की पढ़ाई की और मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में उन्होंने कॉर्पोरेट कानूनों, कराधान और कानून की संबद्ध शाखाओं के अलावा संवैधानिक, श्रम और औद्योगिक विधानों के मामलों में भी वकालत की।

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2016 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में ली शपथ 
56 वर्षीय न्यायाधीश, जो 1992 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे, उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उन्होंने 1 फरवरी 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

कई पदों पर रहे
वह 2006 से अपनी पदोन्नति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विशेष अधिवक्ता भी रहे, इसके अलावा 2012 से अगस्त 2013 तक उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता भी रहे, जब उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।