बेंगलुरु: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई के न्यायालय कक्ष में कथित तौर पर जूता फेंकने के प्रयास के मामले में बेंगलुरु पुलिस ने वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ बुधवार को जीरो एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई ऑल इंडिया एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु की शिकायत के आधार पर की गई।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, शिकायत में कहा गया है कि राकेश किशोर का कृत्य गंभीर है और समाज के किसी भी वर्ग द्वारा स्वीकार्य नहीं। इसके तहत उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 132 (लोक सेवक के कर्तव्य में बाधा डालना) और 133 (किसी व्यक्ति का अपमान करने के लिए हमला या बल प्रयोग) के तहत आरोपित किया गया है।
क्या है जीरो एफआईआर:
अपराध की स्थिति में किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है, जिसे जीरो एफआईआर कहा जाता है। यह सामान्य एफआईआर की तरह ही होती है और कानून के तहत इसकी वैधता होती है।
घटना का संक्षिप्त विवरण:
सोमवार को 71 वर्षीय अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश गवई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया। अदालत कक्ष में मौजूद न्यायिक अधिकारियों और वकीलों ने इस घटना को देखा, लेकिन प्रधान न्यायाधीश ने संयम बनाए रखा और कहा कि इस घटना का उन पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर का वकालत लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
अवैधानिक सोशल मीडिया सामग्री पर कार्रवाई:
सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाने वाली 100 से अधिक सोशल मीडिया हैंडल्स के खिलाफ पंजाब पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। इन पोस्ट और वीडियो में जातिवादी और भड़काऊ सामग्री थी, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करना और न्यायिक संस्थाओं का सम्मान कम करना था। पुलिस ने इन मामलों में आगे की जांच शुरू कर दी है।
अगला कदम:
सुप्रीम कोर्ट के एक अधिवक्ता ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी के समक्ष आवेदन देकर राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाई शुरू करने की अनुमति मांगी है। आवेदन में कहा गया है कि यह कार्य न्यायालय की प्रक्रिया में बाधा डालने वाला है और अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 12 के तहत दंडनीय है।