पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के माइक बंद करने देने के आरोपों पर अब नीति आयोग की सफाई सामने आई है. नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री को पहले वक्त दिया गया क्योंकि उन्होंने लंच से पहले बोलने का समय मांगा था. उनके अनुरोध के बाद लंच के पहले का समय उन्हें एलॉट किया गया और उन्होंने निर्धारित वक्त तक अपनी बात रखी. सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को बोलने का पूरा मौका दिया गया.
सुब्रमण्यम ने आगे कहा कि ममता बनर्जी ने निर्धारित 7 मिनट तक अपनी बात रखीं और घड़ी में जब जीरो टाइम रिफ्लेक्ट हुआ तो रक्षा मंत्री ने टैप करके उनको इशारा किया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने बोलने के लिए अतिरिक्त वक्त नहीं मांगा और नहीं बोलना है कह कर बैठक से चली गईं. इसके अलावा बैठक में कुछ नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि बैठक में 8 राज्यों और 2 केंद्र शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए. बिहार में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है, ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पहुंचना मुश्किल था.
गवर्निंग काउंसिल की बैठक में 26 सीएम हुए शामिल
नीति आयोग के सीईओ ने आगे कहा कि गवर्निंग काउंसिल की बैठक में केंद्र शासित प्रदेशों के 26 सीएम और उपराज्यपाल शामिल हुए. वहीं, 10 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सीएम गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल नहीं हुए. यदि राज्य शासी परिषद की बैठक में भाग नहीं लेते हैं, तो यह उनका नुकसान है. बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही बैठक से किनारा कर लिया था.
गांवों से गरीबी दूर करने पर जोर
उन्होंने कहा कि बैठक में पीएम मोदी ने जीरो प्रतिशत गरीबी वाले गांवों का आइडिया दिया है और कहा कि जनता को मूलभूत सुविधाएं मिली हैं लेकिन अब जरूरत है गरीबी को बिलकुल खत्म करने की और गांव के स्तर पर इसकी शुरुआत की जाए. इसके अलावा इस बैठक में विकसित भारत को लेकर विजन डॉक्यूमेंट्स भी पेश किया गया.
कोलकाता पहुंचने के बाद ममता ने लगाया आरोप
नीति आयोग की बैठक से निकलने के बाद ममता बनर्जी सीधे कोलकाता के रवाना हो गईं. कोलकाता पहुंचने के बाद सीएम ने आरोप लगाया कि उन्हें नीति आयोग की बैठक में बोलने नहीं दिया गया. बार-बार उनके माइक को बंद कर दिया जा रहा था. अगर केंद्र कुछ राज्यों को अधिक धनराशि आवंटित करता है, तो मुझे कोई समस्या नहीं है, लेकिन वह बंगाल के साथ भेदभाव नहीं कर सकता.