लंबे इंतजार के बाद भारतीय वायुसेना का सपना आज साकार होने जा रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए ने शुक्रवार को नासिक में अपनी पहली उड़ान भरी। इस ऐतिहासिक मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे। उन्होंने एचएएल की तीसरी उत्पादन लाइन का औपचारिक उद्घाटन किया, जो नासिक में स्थापित की गई है। एचएएल की दो अन्य उत्पादन इकाइयां पहले से ही बेंगलुरु में कार्यरत हैं।

इंजन आपूर्ति में देरी से प्रभावित हुआ कार्यक्रम

तेजस मार्क-1ए को वायुसेना को दो साल पहले ही मिल जाना चाहिए था, लेकिन अमेरिकी इंजन की देर से आपूर्ति के कारण परियोजना में विलंब हुआ। वायुसेना प्रमुख ने इस देरी पर एचएएल की आलोचना भी की थी। एचएएल का कहना है कि अब तक 10 तेजस मार्क-1ए विमान तैयार हो चुके हैं, जिनमें इंजन लगाए जाने के बाद ट्रायल पूरे कर वायुसेना को सौंप दिया जाएगा। हाल ही में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक से चौथा इंजन प्राप्त हुआ है।
भारत ने 2021 में इस कंपनी के साथ 99 इंजनों की आपूर्ति के लिए 5,375 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था। एचएएल की योजना है कि 2026 से हर वर्ष 30 तेजस विमान तैयार किए जाएं।

वायुसेना के लिए बढ़ी उम्मीदें

मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना लड़ाकू विमानों की कमी का सामना कर रही है। चीन और पाकिस्तान से जुड़ी सुरक्षा चुनौतियों के बीच वायुसेना को 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है, जबकि मिग-21 विमानों के रिटायर होने के बाद यह संख्या घटकर 29 स्क्वॉड्रन रह गई है। ऐसे में तेजस जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमानों का उत्पादन रफ्तार पकड़ना बेहद अहम माना जा रहा है।

आधुनिक तकनीक से लैस ‘तेजस मार्क-1ए’

तेजस मार्क-1ए, एलसीए तेजस का उन्नत संस्करण है। इसमें 65 प्रतिशत से अधिक पुर्जे भारत में बने हैं। चौथी पीढ़ी का यह हल्का व शक्तिशाली विमान 2,200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है और 9 टन तक हथियारों को लेकर चलने में सक्षम है। यह एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता रखता है और इसमें बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल तथा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट भी शामिल हैं।
तेजस मार्क-1ए को जल्द ही बीकानेर के नाल एयरबेस पर तैनात किए जाने की योजना है, जो पाकिस्तान सीमा के निकट होने के कारण सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है।

भविष्य की डील और योजना

रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एचएएल के साथ 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1ए विमानों के लिए 62,370 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें 68 सिंगल-सीटर और 29 ट्विन-सीटर विमान शामिल हैं। इनकी आपूर्ति 2027-28 से शुरू होकर अगले छह वर्षों में पूरी की जाएगी।
तेजस परियोजना न केवल वायुसेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाली है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को भी मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।