तेलंगाना सरकार ने शुक्रवार को स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्ग के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। यह कदम राज्य की राजनीति में बदलाव की दिशा में अहम माना जा रहा है और पंचायतों तथा अन्य निकायों में पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा।
सरकार ने अपने आदेश में बताया कि संविधान के अनुच्छेद 243(D)(6) के तहत राज्य को अधिकार है कि वह पंचायतों में सीटों और पदों पर पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण तय करे। इसी कानूनी आधार पर यह फैसला लागू किया गया है।
सरकार ने पिछड़े वर्ग की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जातीय सर्वेक्षण कराया था। सर्वेक्षण और आंकड़ों के आधार पर गठित विशेष आयोग ने स्थानीय निकायों में 42 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की थी।
सरकार ने अपने आदेश में कहा कि यह निर्णय संवैधानिक अधिकारों के तहत ही नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। पिछड़े वर्ग की बहुआयामी पिछड़ेपन की स्थिति को देखते हुए आरक्षण बढ़ाना आवश्यक बताया गया है।