हैदराबाद। तेलंगाना हाई कोर्ट ने राज्य में लंबित ट्रैफिक चालानों पर दी जाने वाली सरकारी छूट योजनाओं को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। न्यायालय ने कहा कि इस तरह की छूट कानून का डर कम करती है और लोगों को नियमों का उल्लंघन दोहराने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।

ट्रिपल राइडिंग चालान मामला
याचिकाकर्ता वी. राघवेन्द्र चारी को तर्नाका में ट्रिपल राइडिंग के लिए 1,235 रुपये का ई-चालान जारी किया गया था। इसमें 1,200 रुपये जुर्माना और 35 रुपये यूजर चार्ज शामिल थे। चारी ने तर्क दिया कि चालान में उल्लिखित नहीं किया गया कि उन्हें किस कानून के तहत दंडित किया गया। उन्होंने कहा कि यह केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 167 और 167-A का उल्लंघन है।

चालान में ट्रिपल राइडिंग के लिए मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 128 और 177 के तहत जुर्माना 100 से 300 रुपये होना चाहिए, लेकिन 1,200 रुपये वसूले गए। याचिकाकर्ता का दावा है कि 2019 में संशोधित नियम तेलंगाना में लागू नहीं होते।

सरकार की दलीलें और अदालत की आपत्तियां
सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि उल्लंघन धारा 184 के तहत दर्ज किया गया, जो खतरनाक ड्राइविंग से संबंधित है और इसमें 1,000 रुपये का जुर्माना तय है। अदालत ने नोट किया कि ई-चालान पोर्टल पर कानूनी धारा दिखाई नहीं जाती, हालांकि इसे जोड़ने के लिए तकनीकी अपग्रेड जारी है।

अदालत ने दो मुख्य मुद्दों पर आपत्ति जताई:

  1. चालान में किसी भी कानूनी धारा या नियम का उल्लेख नहीं था।

  2. यदि धारा 184 लागू है, तो जुर्माना 1,000 रुपये होना चाहिए, 1,200 रुपये नहीं।

चालान छूट योजना पर तीखी टिप्पणी
जस्टिस कुमार ने कहा कि चालान जारी करने के बाद छूट देना लोगों में कानून का डर कम कर देता है और राज्य में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को बढ़ावा देता है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि लंबित चालानों पर छूट राजस्व संग्रह का माध्यम बन चुकी है, जबकि उद्देश्य सड़क सुरक्षा होना चाहिए।

अगली सुनवाई और संभावित असर
हाई कोर्ट ने पुलिस और ट्रैफिक विभाग से विस्तृत हलफनामा मांगा है, जिसमें बताना होगा कि जुर्माना किस आधार पर तय किया जाता है, ई-चालान सिस्टम कैसे काम करता है और कानूनी प्रावधान क्यों नहीं दिखाए जाते। अदालत ने अगली सुनवाई 9 दिसंबर निर्धारित की है। फैसले का असर भविष्य में ट्रैफिक चालान जारी करने, जुर्माने की राशि तय करने और लंबित चालानों पर छूट की नीति पर पड़ेगा।