हैदराबाद। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि स्थानीय निकाय चुनाव सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित त्रिस्तरीय परीक्षण (Triple Test) के ढांचे के भीतर ही आयोजित किए जाएं। यह राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि उसने हाल ही में ओबीसी आरक्षण 42 प्रतिशत कर दिया था। इस वृद्धि के चलते एससी (15 प्रतिशत) और एसटी (10 प्रतिशत) के साथ कुल आरक्षण 67 प्रतिशत हो गया है, जो ट्रिपल टेस्ट नियम का उल्लंघन माना जा रहा है।

उच्च न्यायालय ने 8 अक्टूबर को 42 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने के सरकारी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग आनुपातिक सीटों को खुली श्रेणी की सीटों के रूप में अधिसूचित करेगा और उसके आधार पर चुनाव कराएगा। याचिकाकर्ता के वकील विवेक रेड्डी ने तर्क दिया कि यह आदेश राजनीतिक आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करता है और त्रिस्तरीय परीक्षण के मानदंडों के खिलाफ है।

ट्रिपल टेस्ट क्या है:
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण देने के लिए त्रिस्तरीय परीक्षण का पालन करना अनिवार्य है। इसके तहत राज्यों को ओबीसी वर्ग के आंकड़े जुटाने के लिए आयोग का गठन करना होता है, आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आनुपातिक आरक्षण तय करना होता है और कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इस नियम का उद्देश्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों का संतुलन बनाए रखना है।