भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य को कैंसर की तरह निगल रहा है. विदेश मंत्री ने 19वें नानी ए. पालकीवाला स्मारक व्याख्यान के दौरान भारत और पाकिस्तान के रिश्तों के बीच चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्तों में सुधार इसलिए नहीं हो रहा है क्योंकि ये सीमा पर आतंकी गतिविधियों को लगातार समर्थन देता रहा है.
जयशंकर ने श्रीलंका का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की पूरी कोशिश होती है कि वो पड़ोसी देशों के साथ उदार रहे, साथ ही उनके सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहे. इसी उद्देश्य के साथ भारत ने आर्थिक संकट के समय श्रीलंका को भारत की ओर से सहायता पैकेज दिए गए.
भारत कैसे करता है पड़ोसियों की मदद?
उन्होंने कहा विभाजन के बाद भारत के सामने बड़ी चुनौतियों में से एक ये भी रही है कि वो अपने अच्छे पड़ोसियों को बनाए. भारत का नजरिया उदार और गैर-पारस्परिक है. गैर पारस्परिक से तात्पर्य है कि भारत की कोशिश होती है कि वो दूसरे देशों की मदद करे लेकिन जरूरी नहीं है और देशों से भी वैसे ही मदद की उम्मीद करता है. गैर-पारस्परिक दृष्टिकोण में भारत ऊर्जा, रेल और सड़क संपर्क में आर्थिक मदद और समर्थन, व्यापार और निवेश का विस्तार और आदान-प्रदान और संपर्कों में तेजी लाने लाकर ऐसा कर रहा है.
संकट के समय की पड़ोसियों की मदद
एस जयशंकर ने कहा कि जब भी पड़ोसियों पर संकट का समय आया है, चाहे वह कोविड महामारी का दौर हो या फिर आर्थिक मंदी की स्थिति हो. भारत ने वास्तव में अपने पड़ोसियों के लिए मुश्किस समय में मदद करने वाले एक बीमा की तरह काम किया है.
इनमें बहुत सारे छोटे पड़ोसी शामिल हैं. 2023 में जब दुनिया में श्रीलंका की आर्थिक स्थिति बुरी हालत में तो भारत ने 4 बिलियन अमरीकी डालर से ज्यादा का पैकेज अपने पड़ोसी के लिए तैयार किया. जबकि, बाकी दुनिया ने कहीं भी ऐसा नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि ये यह भी बिल्कुल सही है कि राजनीतिक घटनाक्रम बहुत सी मुश्किल भरी परिस्थितियों को जन्म दे सकते हैं. इसका मौजूदा समय में उदाहरण बांग्लादेश है. उन्होंने म्यांमार और अफगानिस्तान के साथ चले आ रहे लंबे समय के संपर्क के बारे में भी चर्चा की.