नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को आठवें वेतन आयोग की सेवा शर्तों (Terms of Reference) को मंजूरी दे दी है, जिससे केंद्र के करीब 50 लाख कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों को राहत मिलने का रास्ता साफ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई।
पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई आयोग की अध्यक्ष
आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई करेंगी। इसके एकमात्र सदस्य आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष होंगे, जबकि पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव पंकज जैन को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है।
सरकार के इस कदम को बिहार विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जहां 6 और 11 नवंबर को मतदान प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि यह फैसला सरकारी कर्मचारियों को साधने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है, क्योंकि राज्य में नौकरियों से जुड़ा मुद्दा चुनावी विमर्श का बड़ा हिस्सा बना हुआ है।
18 महीनों में देनी होगी रिपोर्ट, 2026 से लागू होंगी सिफारिशें
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि आयोग का गठन जनवरी 2025 में ही घोषित किया गया था, लेकिन सेवा शर्तों को मंजूरी मिलने के बाद इसकी प्रक्रिया अब तेज हो जाएगी।
कैबिनेट के निर्णय के अनुसार, आयोग को अपनी मुख्य रिपोर्ट गठन के 18 महीनों के भीतर प्रस्तुत करनी होगी, जबकि आवश्यकता पड़ने पर वह अंतरिम रिपोर्ट भी दे सकता है। आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू की जाएंगी।
महंगाई भत्ते और भत्तों में संशोधन की संभावना
आठवां वेतन आयोग, सातवें आयोग (2016–2025) की अवधि समाप्त होने से पहले गठित किया गया है। सातवें आयोग ने वेतन में औसतन 14.3 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश की थी, जिससे करीब एक करोड़ सरकारी कर्मचारियों को लाभ हुआ था।
इस बार उम्मीद की जा रही है कि आयोग महंगाई भत्ते (DA), यात्रा भत्ते (TA) और आवास भत्ते (HRA) जैसे मदों में संशोधन की सिफारिश करेगा।
कर्मचारी संगठनों की मांग हुई पूरी
कर्मचारी संगठनों की लंबे समय से यह मांग थी कि वेतन संशोधन समय पर हो, ताकि कर्मचारियों की क्रय शक्ति बनी रहे। आर्थिक विश्लेषकों का अनुमान है कि आयोग की सिफारिशें लागू होने से सरकार पर 2.4 से 3.2 लाख करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस व्यय का एक बड़ा हिस्सा कर राजस्व के रूप में सरकार को वापस मिल जाएगा।
अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर की उम्मीद
वेतन वृद्धि से घरेलू बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ने की संभावना है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इस बार आयोग को अपनी सिफारिशों में राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने और राजस्व संतुलन पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे।